ये 11 प्रस्ताव जो आज ‘‘संविधान बचाओ-देश बनाओ’’ राष्ट्रीय सम्मेलन में हुआ पारित

TwoCircles.net News Desk


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नई दिल्ली : ऐसे समय में जब भारतीय संविधान के बुनियादी उसूलों —बहुलतावाद, अनेकता, समानता, न्याय तथा सहिष्णुता को नुक़सान पहुंचाने की कोशिश जारी हो और जो लोग इस सबके लिए ज़िम्मेदार हों, वे निश्चिंत हों कि उन्हें कुछ भी होने वाला नहीं है, क्योंकि उन्हें सरकार के उच्च स्तर के लोगों से अनुमति मिली हुई है, संविधान के अस्तित्व को ख़तरा पैदा हो गया है.

इस असाधारण स्थिति से भारत के आम नागरिक परेशान हैं. आम नागरिकों की चिन्ताओं को महसूस करते हुए, आॅल इंडिया मिल्ली काउंसिल ने रविवार 30 जुलाई, 2017 को  नई दिल्ली के तालकटोरा इण्डोर स्टेडियम में ‘‘संविधान बचाओ-देश बनाओ’’ विषय पर एक राष्ट्रीय कनवेंशन आयोजित किया है, ताकि इस मुद्दे पर विस्तार से चर्चा की जाए और उसका हल सुझाया जा सके.

इस राष्ट्रीय सम्मेलन में निम्न 11 प्रस्ताव पारित किए गए:

1. यह जनसमूह नफ़रत फैलाने वाले भाषणों पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने की मांग करता है, क्योंकि यह हमारी परम्पराओं और संविधान के विपरीत है. हम नफ़रत फैलाने वाले भाषणकर्ताओं, ऐसे भाषणों का समर्थन करने वालों और उन्हें नज़रअंदाज़ करने वालों के ख़िलाफ़ सख़्त कार्रवाई किये जाने की मांग करते हैं.

2. देश में बहुसंख्यक प्रतिनिधित्व वाली सरकार के सत्ता में आने के बाद तेज़ी से बदलते हुए सामाजिक एवं राजनितिक वातावरण से लोकतांत्रिक भावना तथा संवैधानिक मूल्यों के लिए ख़तरा पैदा हो गया है. हम पूरी गहराई से यह महसूस करते हैं कि इस मुद्दे को हल करने के लिए एक मज़बूत आंदोलन की ज़रूरत है.

3. मिल्ली काउंसिल हर नागरिक का आह्वान करती है कि वह ‘‘संविधान बचाओ-देश बनाओ’’ आंदोलन में शामिल हो. 

4. मिल्ली काउंसिल मतदाताओं में बढ़ते नकारात्मक रुझान पर चिंता व्यक्त करती है, क्योंकि साम्प्रदायिक अपराधों से चुनाव में भारी लाभ होता है. अग्रेज़ी दैनिक द हिन्दुस्तान टाइम्स द्वारा 50324 उम्मीदवारों के बारे में किए गए हाल के सर्वेक्षण में यह तथ्य उभर कर सामने आया है कि लोकसभा और राज्य विधान सभाओं के लिए चुनकर आए 50 राजनेताओं पर धार्मिक हिंसा भड़काने या साम्प्रदायिक घृणा फैलाने के मुक़दमे दर्ज हैं.

5. मिल्ली काउंसिल प्रधानमंत्री तथा उनके मंत्रिमण्डलीय सहयोगियों द्वारा नफ़रत फैलाए जाने वाले अपराधों की निंदा किये जाने के बावजूद अल्पसंख्यकों और दलितों की गो-रक्षा के नाम पर और दूसरी सम्बंधित घटनाओं में भीड़ द्वारा की जा रही हत्याओं की रोकथाम के लिए सरकार से विशेष क़दम उठाने और अलग क़ानून बनाने की मांग करती है.

6. मिल्ली कांउसिल सरकार से मांग करती है कि वह आतंकवाद के नाम पर, ख़ास तौर से 2001 के बाद गिरफ्तार किए गए निर्दोष मुस्लिम नौजवानों के मामलों की जांच के लिए एक न्यायिक आयोग गठित करे और उनके सम्मानपूर्ण पुनर्वास के लिए विशेष क़दम उठाए तथा ऐसे पुलिस अधिकारियों को दंडित करने के लिए, जो निर्दोष मुसलमानों को झूठे इल्ज़ाम में गिरफ्तार करें, अलग से क़ानून बनाए.

7. मिल्ली काउंसिल महसूस करती है कि जब से मोदी सरकार सत्ता में आई है और उसने लोकतांत्रिक व्यवस्था को नज़रअंदाज़ करते हुए तानाशाही ढंग अपनाया है, तब से नागरिकों, ख़ास तौर से अल्पसंख्यकों, दलितों और समाज के कमज़ोर तबक़ों में डर का माहौल पैदा हो गया है. अतः शासन करने वाले गठबंधन से मांग करती है कि वह उनमें विश्वास की भावना पैदा करे.

8. मिल्ली काउंसिल मस्जिदों, क़ब्रिस्तानों और दूसरी वक़्फ़ सम्पत्तियों सहित धार्मिक स्थानों पर बढ़ते हुए हमलों की निंदा करती है और यह मांग करती है कि उन्हें बचाने के लिए तुरंत आवश्यक क़दम उठाए जाएं.

9. मिल्ली काउंसिल मांग करती है कि नेशनल कमीशन फाॅर माइनाॅरिटी एजूकेशनल इंस्टीट्यूशंस सहित सरकारी अल्पसंख्यक संस्थान, जो ख़राब हालत में हैं, उनकी ठीक ढंग से देखभाल की जाए. काउंसिल यह भी मांग करती है कि जस्टिस सुहैल एजाज़ सिद्दीक़ी द्वारा दिसम्बर 2014 में पदभार छोड़े जाने के बाद ख़ाली हुए स्थान पर एनसीएमईआई का नया अध्यक्ष नामित किया जाए. 9 जुलाई, 2017 को दिल्ली उच्च नयायालय द्वारा दिए गए निर्देशों के दृष्टिगत इस पर ज़्यादा ध्यान देने की ज़रूरत है.

10.मिल्ली काउंसिल केन्द्र सरकार से मांग करती है कि वह आर.एस.एस से सम्बंध शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास (एस एस यू एन) के अध्यक्ष, दीना नाथ बत्रा द्वारा उर्दू के महान कवि मिर्जा़ ग़ालिब के शेरों और उर्दू शब्दों को स्कूल की पाठ्यपुस्तकों से हटाने के लिए नेशनल काउंसिल आॅफ एजूकेशनल रिसर्च ऐण्ड ट्रेनिंग (एनसीईआरटी) को भेजी गई सिफ़ारिशों को पूरी तरह ख़ारिज करे.

11. मिल्ली काउंसिल महसूस करती है कि हालांकि प्रेस पर सरकारी सेंसरशिप नहीं है, लेकिन उस पर दबाव है और सम्पूर्ण मीडिया की आज़ादी ख़तरे में है जिसके शिकार हाल ही में इकनोमिक ऐण्ड पोलिटिकल वीकली के सम्पादक, प्रणंजय गुहा ठाकुरता हुए हैं. इसके अलावा मीडिया के लोगों पर दक्षिणपंथी गु़ंडों द्वारा संगठित हमले किए जा रहे हैं. अतः काउंसिल सरकार से मांग करती है कि इस सम्बंध में प्रभावी क़दम उठाए जाएं.

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