TwoCircles.net Staff Reporter
नई दिल्ली : मानव अधिकार दिवस पर ‘द ओरिजिन’ नामक संस्था द्वारा आयोजित ये कार्यक्रम कई मायनो में अलग था. जहां दिल्ली के बड़े-बड़े आयोजनों में मानव अधिकार की सिर्फ़ बड़ी-बड़ी बातें की जा रही थी, वहीं जामिया नगर के क़रीब जसोला गांव के बच्चें लोगों को इंसानियत का पैग़ाम दे रहे थे.
मानव अधिकार दिवस पर जसोला गांव के झुग्गी-झोंपड़ी में बसने वाले बच्चे अपने सांस्कृतिक कार्यक्रमों के ज़रिए इंसानियत का पैग़ाम तो दिया ही, साथ ही बच्चों ने अपने हाथों से बनाए प्ले-कार्ड के माध्यम से भी बड़ों को इंसानियत का पैग़ाम देने की कोशिश की.
दरअसल, यहां झुग्गी-झोंपड़ी में बसने वाले इन बच्चों को ‘द ओरिजिन’ नामक एक संस्था से जुड़े बीएड के कई छात्र-छात्राएं इन्हें पढ़ाती हैं. इसी संस्था ने मानव अधिकार दिवस के अवसर बच्चों का सांस्कृतिक प्रोग्राम का आयोजन किया था.
‘द ओरिजिन’ के अध्यक्ष शारिक़ नदीम का कहना है कि, ये संदेश बच्चों ने खुद ही सोचा और खुद ही लिखा था.
वो कहते हैं कि, दरअसल, देश में बदल रहे माहौल का असर बच्चों पर भी पड़ रहा है. वो भी घरों में अपने मां-बाप को मोबाईल पर वीडियो व फोटो देखते हुए देखते हैं. तो ज़ाहिर है कि सवाल उनके मन में भी पैदा होता है. यक़ीनन उनके प्ले-कार्ड्स ने हमें सोचने को मजबूर कर देते हैं. हमें इन बच्चों से सबक़ लेने की ज़रूरत है.