TwoCircles.net Staff Reporter
कासगंज/लखनऊ : कासगंज में हिंसा रूकने का नाम नहीं ले रही है. ताज़ा जानकारी के मुताबिक़ आज सुबह फिर दुकानें जलाई गई हैं.
गाड़ियों और दुकानों को आग के हवाले करने का क्रम शनिवार को देर रात को भी चलता रहा. वहीं मुस्लिम मोहल्लों में बसने वाले लोगों का आरोप है कि पुलिस प्रशासन एकतरफ़ा कार्रवाई कर रही है.
यहां बसने वाले मुसलमानों का यह भी आरोप है कि सिर्फ़ मुस्लिम मोहल्लों में ही ड्रोन उड़ाए जा रहे है कि ताकि कोई नौजवान अपने ही घर के छत भी न जा सके. जबकि दूसरे समुदाय के नौजवानों को खुली छूट है.
बता दें कि एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक़ अब तक कासगंज हिंसा मामले में 149 लोगों की गिरफ़्तारी हो चुकी है. ज़्यादातर इलाक़ों में कर्फ्यू जैसा माहौल है. इंटरनेट सेवाओं के साथ-साथ कई जगहों पर बिजली व पानी भी रोक दी गई है.
इस बीच यह भी ख़बर है कि डीएम आर.पी. सिंह ने आज सुबह एक ‘पीस मीटिंग’ के लिए दोनों समुदाय से लोगों को बुलाया गया. डीएम आरपी सिंह ने इस मीटिंग में सबसे लॉ एंड ऑर्डर का पालन करने की अपील की है. हालांकि मीडिया रिपोर्ट्स यह भी बताते हैं कि इस पीस मीटिंग में एक समुदाय के लोग शामिल थे. मुसलमानों को इसमें नहीं बुलाया गया.
अब इसके पीछे पुलिस प्रशासन का यह तर्क है कि टकराव की आशंका के चलते प्रशासन ने केवल हिंदू समुदाय के लोगों को ही पीस मीटिंग के बुलाया. इस पीस कमेटी की बैठक में एडीजी आगरा जोन और कमिश्वर ने बैठक में हिस्सा लिया.
मीटिंग में मौजूद लोगों से अपील करते हुए डीएम आर.पी. सिंह ने कहा कि किसी भी तरह की हिंसा में शामिल न हो. न ही किसी दुकान को जलाएं और बस में आग लगाएं.
इस मामले में आज उत्तर प्रदेश की सामाजिक व राजनीतिक संगठन रिहाई मंच ने इस साम्प्रदायिक हिंसा के लिए भाजपा और संघ परिवार को ज़िम्मेदार ठहराया है.
रिहाई मंच ने आज एक प्रेस विज्ञप्ति जारी कर कहा है कि, जिस संघ परिवार के लोग तिरंगे को राष्ट्रीय ध्वज नहीं स्वीकार किया, वे आज भगवा यात्रा निकाल कर साम्प्रदायिक हिंसा फैला रहे हैं. कासगंज साम्प्रदायिक हिंसा की एक वीडियो में साफ़-साफ़ दिख रहा है कि साम्प्रदायिक तत्व भगवा झंडा लेकर यात्रा निकाल रहे थे और मुस्लिम इलाक़े में तिरंगे के जगह भगवा झंडा फहरा रहे थे.
मंच ने मांग कि इस तरह के साम्प्रदायिक तत्वों के ख़िलाफ़ राष्ट्रीय ध्वज अधिनियम के तहत कार्यवाही की जाए.
मंच ने मांग की है कि कासगंज साम्प्रदायिक हिंसा में भाजपा सांसद राजवीर सिंह की भूमिका की उच्चस्तरीय जांच हो.