आस मुहम्मद कैफ़, TwoCircles.net
दिल्ली : 23 अप्रैल को अचानक से कई लोग फेसबुक पर दिखना बंद हो गए. अपने अज़ीज़ों को एक साथ इस सोशल साईट से रुख़्सती देखकर बहुत सारी आशंकाएं और सवाल लोगों के मन में पैदा हुए. आपस में सवाल किए जाने लगे कि एक ही दिन में इतनी बड़ी संख्या में लोग कहाँ गए. मगर ये लोग कहीं गए नहीं थे, बल्कि ‘चुप्पी से विरोध’ कर रहे थे.
अचानक से ट्विटर पर सरगर्मी बढ़ गई और फेसबुक से ग़ायब होने का राज़ खुल गया. ट्विटर पर इसकी वजह पोस्ट की गई तो पता चला कि भारत में बलात्कार की शर्मनाक घटनाओं के प्रति अपनी नाराज़गी जताने के लिए सबसे चर्चित सोशल नेटवर्किंग साईट फेसबुक पर यह एक प्रकार का मौन व्रत रखा गया. इसे विरोध का एक नायाब तरीक़ा माना गया और देशभर में इसकी चर्चा हुई.
बताया जा रहा है कि 24 घंटों में लगभग 5 लाख लोगों ने इस अनोखे विरोध-प्रदर्शन में अपनी सहमती दर्ज कराई. खास बात यह है कि इसके लिए सिर्फ़ 48 घंटे पहले अधिवक्ता एच.आर. खान, मोहम्मद ख़ालिद हुसैन, नवेद चौधरी, रफ़ीक़ बलिम और मोहम्मद शाहीन जैसे कुछ नौजवानों ने फेसबुक से भारत में हो रहे बलात्कार के विरोध स्वरूप आईडी डीएक्टिवेट करने की अपील की और इसके लिए ये दिन 23 अप्रैल तय किया.
इस मुहिम की शुरूआत करने वालों में से एक मोहम्मद ख़ालिद हुसैन ने TwoCircles.net के साथ बातचीत में बताया कि, इंसान अगर है तो उसका ज़िन्दा नज़र आना ज़रूरी है. ग़लत बातों की मुख़ालफ़त उसका फ़र्ज़ है. भारत के कठुआ में हुए 8 साल की बच्ची के साथ दरिन्दगी किसी का भी दिल रुला सकती है. हमने इसके लिए फेसबुक पर प्रोटेस्ट किया. समान विचारधारा के लोगो से समर्थन मांगा. लोगों ने दिल खोलकर साथ दिया.
ख़ालिद हुसैन का दावा है कि 5 लाख लोगों ने सोशल मीडिया के इस ‘अनशन’ में साथ दिया है. हालांकि इसके लिए उन्होंने फेसबुक के मालिक मार्क जुकरबर्ग को मेल भेजकर आज आईडी डिएक्टिवेट करने वालों की संख्या की जानकारी मांगी है. साथ ही ख़ालिद यह भी चाहते हैं कि मार्क भारत में हुए इस जघन्य अपराध के विरुद्ध कम्पैन भी चलाए.
कठुआ कांड में दैनिक जागरण की ग़लत ख़बर के विरोध में वाद दायर करने वाले सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता एच. आर. खान को इस मुहिम का अगुआ माना जा रहा है.