TwoCircles.net News Desk
पटना : बिहार के प्रथम प्रधानमंत्री (प्रीमियम) बैरिस्टर मोहम्मद यूनुस की 134वीं जयंती के अवसर पर बिहार सरकार द्वारा आज पटना के श्री कृष्ण स्मारक भवन परिसर में एक राजकीय समारोह का आयोजन किया गया.
इस समारोह में मुख्य अतिथि के तौर पर महामहिम राज्यपाल सत्यपाल मलिक को आना था, जो किन्हीं कारणों से नहीं आएं. हालांकि सरकार की ओर से बिहार के पथ निर्माण मंत्री नंदकिशोर यादव ज़रूर मौजूद रहे.
नंदकिशोर यादव का स्वागत बैरिस्टर मोहम्मद युनूस के परिवार की तरफ़ से मोहम्मद काशिफ़ यूनुस ने किया.
कार्यक्रम की शुरूआत दीप व आरती से हुई. मोहम्मद यूनुस के जीवन का संक्षिप्त विवरण दिया गया. उसके बाद मोहम्मद यूनुस की तस्वीर पर मंत्री नंदकिशोर यादव, ज़िला अधिकारी कुमार रवि सहित बड़ी तादाद में अतिथियों ने फूल-माला चढ़ाकर उन्हें भावभिनी श्रृंद्धांजलि अर्पित की. साथ ही कलाकारों द्वारा भजन प्रस्तूत किया गया.
मीडिया के साथियों से बात करते हुए मंत्री नंदकिशोर यादव ने कहा कि, आधुनिक बिहार के निर्माण में बैरिस्टर मोहम्मद यूनुस का योगदान बहुत बड़ा है.
इस मौक़े पर मौजूद बैरिस्टर मोहम्मद यूनुस मेमोरियल कमेटी के अध्यक्ष व परपोते क़ासिफ़ यूनुस ने कहा कि, आज़ाद भारत में, ख़ासकर सरकार के स्तर पर मोहम्मद यूनुस को वैसा सम्मान और पहचान नहीं मिली, जिसके वो हक़दार थे. आज़ादी के पहले के रिकार्ड्स में तो उनके नाम हैं, लेकिन बाद में सरकारी अभिलेखागारों से भी उनका नाम हटा दिया गया है. ये बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है.
स्पष्ट रहे कि 2013 से यूनुस की जयंती राजकीय सम्मान के साथ आयोजित की जाती है. इसकी घोषणा 13 मई, 2012 को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने मोहम्मद यूनुस की याद में आयोजित एक कांफ्रेस में की थी.
क़ासिफ़ यूनुस ने आज इस बात की भी सूचना दी कि आने वाले 6 मई को बैरिस्टर मोहम्मद यूनुस मेमोरियल कमेटी के बैनर तले श्रीकृष्ण मिमोरियल हॉल में एक बड़ा प्रोग्राम बैरिस्टर मोहम्मद युनूस साहेब की जयंती पर किया जाएगा. जिसकी तैयारी मुकम्मल हो चुकी है.
गौरतलब रहे कि भारत की आज़ादी के बाद देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू ज़रूर बने थे, लेकिन आज़ादी से पहले भी देश में कई प्रधानमंत्री हुए. उनमें से पहले प्रधानमंत्री थे मोहम्मद यूनुस. ये बिहार के प्रधानमंत्री थे.
दरअसल, 1935 में ब्रिटिश पार्लियामेंट ने ‘गवर्नमेंट ऑफ इंडिया एक्ट’ पारित किया था. एक्ट में प्रधानमंत्री का पदनाम प्रांतीय सरकार के प्रधान के लिए था, लेकिन व्यवहार में वो पद वही था जो आज मुख्यमंत्री का है. इस एक्ट के तहत 1937 में भारत में प्रांत स्तर पर चुनाव हुए. इस चुनाव में बिहार सहित सभी प्रांतों में कांग्रेस की भारी बहुमत से जीत हुई. तब प्रांतीय सरकार में गवर्नर के हस्तक्षेप के सवाल पर कांग्रेस ने सभी जगह सरकार बनाने से इनकार कर दिया था. लेकिन कांग्रेस के इनकार के बाद बिहार में मुस्लिम इंडिपेंडेंट पार्टी के मोहम्मद यूनुस ने सरकार बनाई. एक अप्रैल, 1937 को वे बिहार ही नहीं सभी प्रातों में प्रधानमंत्री पद की शपथ लेने वाले पहले शख्स बने. यूनुस 19 जुलाई 1937 तक अपने पद पर रहे.
यूनुस का जन्म 4 मई 1884 को बिहार में पटना के करीब पनहरा गांव में हुआ था. उनके पिता मौलवी अली हसन मुख्तार मशहूर वकील थे और उन्होंने लंदन से वकालत पढ़ी थी.
यूनुस ने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत कांग्रेस से की थी, लेकिन बाद में वे महात्मा गांधी की असहयोग नीति और दूसरे राजनीतिक कारणों से कांग्रेस से अलग हो गए. फिर उन्होंने 1937 के चुनाव के समय मौलाना सज्जाद के साथ मिलकर मुस्लिम इंडिपेंडेंट पार्टी बनाई.
आज़ादी के बाद बने किसान मजदूर प्रजा पार्टी के गठन में भी मोहम्मद यूनुस ने अहम भूमिका निभाई थी. 1952 में 13 मई को मोहम्मद यूनुस का इंतकाल हुआ.
उन्होंने बिहार विधानमंडल और पटना हाईकोर्ट जैसी इमारतों की नींव भी रखी. एक वकील और राजनेता के साथ-साथ यूनुस एक सफल उद्यमी, बैंकर और प्रकाशक भी थे. उनके द्वारा पटना में बनाया गया ग्रैंड होटल तब के बिहार का पहला आधुनिक होटल था. इसी होटल के एक हिस्से में मोहम्मद यूनुस रहा करते थे. साथ ही तब यह होटल उस दौर का महत्त्वपूर्ण राजनीतिक केंद्र हुआ करता था.