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नई दिल्ली : जामिया मिलिया इस्लामिया में 2250 किलोवाट का सोलर पैनल लगाया गया है। बीते सप्ताह इसे विश्वविद्यालय की 52 इमारतों की छतों पर चालू कर दिया गया। इस ऊर्जा पैनल के लिए ये दावा किया गया है कि विश्वविद्यालय स्तर पर देश का सबसे बड़ा रेस्को (रीन्यूबल एनर्जी सर्विस कंपनी) मॉडल पर तैयार सौर ऊर्जा पैनल है।
डीयू और जेएनयू के मुकाबले जामिया में तकरीबन क्रमश: 77 किलोवाट और 100 किलोवाट के सोलर पैनल लगे हैं। देश के अन्य विश्वविद्यालयों में भी तकरीबन इसी क्षमता के सोलर पैनल लगे हैं। इससे हर दस साल में 11 लाख 55 हजार कोयले की खपत के बराबर बिजली का उत्पादन होगा।
वही इसकी खासियत की बात करें तो इसकी मदद से हर दस साल में 60 हजार से ज्यादा वृक्ष कटने से बच जाएंगे।
जामिया मिलिया इस्लामिया के बिल्डिंग एंड कंस्ट्रक्शन विभाग के इंचार्ज प्रो. सिराजुद्दीन अहमद का कहना है कि यह प्रोजेक्ट संस्थान स्तर पर भारत सरकार की स्कीम ‘रेस्को मॉडल’ के अंतर्गत लगा है।
प्रो. सिराजुद्दीन अहमद ने ‘रेस्को मॉडल’ के बारे में बताया कि सरकार की इस योजना के तहत उपभोक्ता को न ही कुछ निवेश करना होता है और न ही इसके रखरखाव का कोई भुगतान करना पड़ता है। उन्हें केवल अपनी छत मुहैया करानी होती है। इसके बदले रियायती दामों पर बिजली मिलती है। अभी जामिया 10 रुपये प्रति यूनिट भुगतान करता है। वहीं, उसे सौर ऊर्जा के लिए प्रति यूनिट 3.39 रुपये देने होंगे। प्लांट के बाद जामिया को बिना किसी निवेश के प्रतिवर्ष डेढ़ से दो करोड़ रुपये की बचत भी होगी।