आस मोहम्मद कैफ | कवाल (मुज़फ्फरनगर)
अपने बयान कि देश में असुरक्षित महसूस होने वाले को बम्ब से उड़ा देना चाहिए से सुर्खियों में आये भारतीय जनता पार्टी के विधायक विक्रम सैनी का दावा हैं कि उनके गाँव में कोई मुसलमान उनको बुरा नहीं कह सकता.
वहीँ गाँव के रहने वाले कुछ हिन्दू उनसे नाराज़ भी हैं क्यूंकि उनके अनुसार विधायक विक्रम सैनी ने हिन्दुओं पर फर्जी मुक़दमे लगवाए हैं. कुल मिला कर इनकी बात को गाँव में ज्यादा गंभीरता से नहीं लिया गया.
विक्रम सैनी मुज़फ्फरनगर के कवाल गाँव के निवासी हैं. कवाल मुजफ्फरनगर से मीरापुर मार्ग बीस किमी की दूरी पर है.विक्रम सैनी इसी कवाल गांव के रहने वाले है.यहां से उनकी पत्नी प्रधान रह चुकी है दंगो के बाद वो पहले जिला पंचायत सदस्य बन गए और अब विधायक है.
यहाँ गंगनहर के किनारे 2013 के दंगे की जमीन बनी महापंचायत इसी गंगनहर ने नज़दीक हुई थी. नहर में महापंचायत से लौटकर आने वाले जाटो को मारने की अफवाहें भी यहां से ही फैलाई गई थी.यहाँ से 5 किमी दूर कवाल गांव है.2013 के मुजफ्फरनगर दंगों जिम्मेदार इसी गांव के तीन क़त्ल को माना जाता है.
अपनी सफाई में विधायक विक्रम सैनी कहते हैं, “गांव में पूछ लीजिये कोई मुसलमान मुझे बुरा नहीं कह सकता कुछ राजनीतिक विरोधी है वो सबके होते हैं,मीडिया मेरे बयान को तोड़मरोड़ के पेश करती है मैंने कहा था जो देशद्रोही है उनको बम से उड़ा दो,जो देश मे रहकर डरते है वो जिंदा रहने का हक नही रखते.हम गांव में भाईचारे से रहते हैं.जो यहां रहकर दुसरो के गुण गाते हैं उनके लिए मैंने कहा था.मुझे नसीरूद्दीन शाह से कोई मतलब नहीं है.”
कवाल के पूर्व प्रधान महेन्द्र सैनी मानते हैं कि वो विक्रम सैनी की सोच के विरोधी है वो कहते हैं “विक्रम सैनी जहरीली भाषा बोलते हैं वो समाज मे वैमनस्य फैलाते है,कवाल में झगड़े में हुई हत्याओं को साम्प्रदयिक बनाने का काम उन्होंने किया था.इसके बाद यहां जहर फैल गया.विक्रम सैनी को इसलिए जेल भी भेजा गया.जेल से आने के बाद भाजपा उनपर मेहरबान हुई जिसके बाद अब वो विधायक है उन्हें यह लगता है कि वो हिन्दू ह्रदय सम्राट बन रहे हैं जबकि गांव के उन्ही की बिरादरी के लोग उनसे नाराज़ है.” वहीँ गांव के निवासी कल्लू क़ुरैशी कहते हैं, “विक्रम सैनी का बयान उन्होंने सुना है इससे उन्हें नाराजगी है मगर विक्रम सैनी की कोई बात सीरियस नही जाती है. वो पहले से उल्टे-सीधे बयान देते है एक बार उन्होंने बच्चे पैदा करने के बयान अपनी पत्नी को मंच से ही गाली दे दी थी.”
वहीँ जयपाल प्रजापति कहते हैं गांव के हिंदुओं से उनके रिश्ते बिगड़ गए है उन्होंने कई लोगो पर फर्जी मुक़दमे दर्ज कराए हैं विधायक बनने के बाद उनमे अहंकार आ गया है. कवाल गांव के बीचोबीच चौराहे पर विक्रम सैनी के बारे में बात होने पर भीड़ में से एक युवक पंकज कश्यप तेज आवाज में विधायक का गुणगान करते हैं, “विधायक ने देशद्रोहियो के लिए कहा है कि उनके पिछवाड़े को बम से उड़ा देंगे,हम उनकी बात का समर्थन करते हैं जो लोग यहां रहते हैं अगर उन्हें डर लग रहा है तो उन्हें बम से उड़ना चाहिए कुछ देर बाद पंकज यह भी कहते हैं कि विक्रम सैनी ऐसा नही कर सकते वो तो बस सुर्खियों में आने के लिए ऐसा कह रहे हैं”. गांव के ज्यादातर मुसलमान इस मुद्दे पर बात करने के लिए किनाराकशी करते है मोहम्मद आफताब (45) कहते हैं गांव में विक्रम सैनी का बर्ताव अच्छा है विधायक बनने के बाद उनके व्यवहार बेहतर हुआ है.गांव के प्रधान इस्लाम क़ुरैशी से उनके अच्छे रिश्ते है.”
गांव के कुछ लोग बताते हैं कि विक्रम सैनी पहले चाट की ठेली लगाते थे.उनके गांव के महेन्द्र सैनी के अनुसार उनके 2 बीघा जमीन थी और उन्होंने मजदूरी भी की है.विक्रम सैनी के चुनाव आयोग को दिए गए शपथपत्र के मुताबिक उन्होंने दसवीं तक की पढ़ाई की है.जाहिर है विक्रम सैनी ने यहां तक पहुंचने के लिए अत्यधिक मुश्किलों का सामना किया है और उन्हें लगता है कि ‘फायरब्रांड’ बनने की उनकी छवि ही उनकी पूंजी है उनकी महत्वकांक्षाएं इसी तरह क्रिया से पनपेगी.
मगर सिर्फ जबानी नही विक्रम सैनी का एक्शन भी मुसलमानों के खिलाफ बोलता है.विधायक बनने के तुरंत बाद इन्होंने खतौली के मुख्य चौपले(चौराहे) से बिरयानी की ठेलिया हटवा दी और एक झटके में दर्जनों परिवार बेरोजगार हो गये.खतौली रालोद के नगर अध्यक्ष वकील अहमद के मुताबिक जानबूझकर एक ही समाज को लोगो को निशाना बनाया जाना उनकी असली मानसिकता को दिखाता है.विद्यायक बनने के बाद उनके अंदर सांसद बनने की इच्छा उभार मार रही है इसलिए वो असहमति की आवाज़ों को बम से उड़ा देना चाहते हैं.
जानसठ के कांग्रेस नेता अब्बास अली खान कहते हैं “विक्रम सैनी अपने गांव में मुसलमानों से बनाकर रखते है वहां साफ सफाई रखते जबकि बाहर कूड़ा फैलाते रहे. इससे पता चलता है कि वो लोगो की भावनाओं से खेल रहे हैं जबकि उनको सबके लिए समान भाव रखना चाहिए.
लेकिन स्थानीय सामाजिक कार्यकर्ता आरिफ शीशमहली के मुताबिक विक्रम सैनी अच्छे आदमी है उनके प्रधान बनने के पहले से वो उन्हें जानते है.अपने जीवन मे उन्होंने बहुत अधिक संघर्ष किया है.वो मुसलमानों से नफरत नही करते ऐसे राजनीति को वो इसी परिपेक्ष्य में समझ रहे हैं उन्हें कामयाबी इसी तरह के बयानों से मिली है. अब उन्हें यह आगे बढ़ने का शॉर्ट कट लगता है.
मुजफ्फरनगर शहर में कवाल से सैकड़ो लोग रोज़ाना रोजी-रोटी कमाने जाते है. ये सभी शाम 7 बजे के बाद मुजफ्फरनगर से मीरापुर की और चलने वाली निजी बस से सफर करते है.कवाल की आबादी 8 हजार है और यह मुस्लिम बहुल गांव है तो इन मजदूरों में बड़ी तादाद मुसलमानों की होती है. इसी मार्ग की बस के कडंक्टर शाहिद(38) कहते है कि”वो लगभग रोज़ कवाल के लोगो को उन सवारियों को यह समझाते देखते है कि उस एक खराब वक़्त ने उन्हें बदनाम कर दिया जबकि हम यहाँ मिलजुलकर रहते हैं.कवाल के पक्ष में तर्क हिन्दू और मुसलमान दोनों देते हैं वो चिल्लाते है कि उस दिन के बाद यहां कोई झगड़ा नही हुआ,हमारे माथे पर एक जबरदस्ती का कलंक थोप दिया गया.हम बुरे लोग नही है लोगो कवाल का नाम सुनकर हमपर हैरत से देखना बंद करना चाहिए”.शाहिद बताते हैं कि बस में किराया तक ये लोग मिलजुलकर देते हैं.
महापंचायत में शामिल हुए बहुत से बीजीपी नेता सांसद अथवा विधायक बन गए रालोद के पश्चिमी उत्तर प्रदेश के प्रवक्ता अभिषेक चौधरी कहते हैं कि “विक्रम सैनी भी ऐसे ही एक एक्सिडेंटल विधायक है मुजफ्फरनगर दंगे के बाद ऐसे उलजुलूल बयान देने वाले बीजीपी नेतागणों की लॉटरी लग गई इसीलिए वो दंगो को अपना लिए भाग्यशाली मानते हैं”.
गांव के लोग मानते हैं कि मुजफ्फरनगर दंगों के बाद उनपर रासुका के तहत कार्रवाई हुई जिसमें उन्हें एक साल से भी ज्यादा समय तक जेल में रहना पड़ा इसके बाद उनकी किस्मत खुल गई उन्हें भारतीय जनता पार्टी ने खतौली से टिकट थमा दिया जहां उन्होंने समाजवादी पार्टी के चंदन चौहान को हरा दिया.