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नई दिल्ली। दिल्ली हिंसा के दौरान मुसलमनों का नरसंहार पूर्वनियोजित था। इसे योजनाबद्ध तरीक़े से अंजाम दिया गया। दंगाईयो को सत्ता का संरक्षण हासिल था। हिंसाग्रस्त इलाक़ो का दौरा करके हालात का जायज़ा लेने और हिंसा पीड़ितों से बात करने के बाद जमाअत-ए-इस्लामी हिंद ने यह दावा किया है। जमाअत की तरफ़ से की गई प्रेस कांफ्रेस के बाद बयान में हिंसा को दौरान जान-माल का नुक़सान का भी ब्योरा दिया गया है।
जमाअत इस्लामी हिन्द के अमीर (अध्यक्ष) सैयद सआदतुल्लाह हुसैन ने कहा कि उत्तर-पूर्वी दिल्ली में बड़े पैमाने पर हिंसा हुई है। इस हिंसा में मारे गये शोकाकुल परिजनों के साथ जमाअत उनके दुखों को साझा करती है और सहानुभूति प्रकट करती है। हिंसा के तरीक़े से स्पष्ट संकेत मिलता है कि यह नरसंहार योजनाबद्ध था और इलाक़े में रहने वाले मुसलमानों को लक्षित करके किया गया था। आधिकारिक रिकार्ड के मुताबिक मृतकों की संख्या 50 से अधिक है। लेकिन लोगों के अनुसार मृतकों की संख्या इससे कहीं अधिक हो सकती है क्योंकि बहुत से आंकड़े रिकॉर्ड में नहीं हैं।
बयान में किया कहा गया है कि इसने कई बेशक़ीमती संस्थानों को नुक़सान पहुंचाया है। सामान्य नागरिकों की सुरक्षा के लिए ज़िम्मेदार राज्य की कानून और व्यवस्था तंत्र की क्षमता पर से लोगों का विश्वास उठा हैं। पूरा प्रकरण मानवता के नाम पर कलंक है और पूरे देश के लिए शर्म की बात है। जमाअत इस्लामी हिन्द के मुख्यालय में आयोजित मासिक प्रेस सम्मेलन को सम्बोधित करते हुए सआदतुल्लाह हुसैनी कहा कि मुस्लिम समुदाय, उनके व्यापार और धार्मिक स्थलों को लक्षित करने के विशिष्ट उद्देश्यों के साथ हमलावरों को हथियार चलाने का प्रशिक्षण दिया गया था।
उन्होंने कहा कि मौक़े से मिली रिपोर्टों के मुताबिक पुलिस की भूमिका हैरान करने वाली थी। वीडियो को देख कर कोई भी अंदाज़ा लगाया जा सकता है कि पुलिस मूक दर्शक बनी हुई थी या हिंसा में सक्रिय सहयोगी थी। पीड़ित और जीवित लोग बहुत डरे हुए हैं और बेहद मायूस हैं। उन्हें क़ानूनी मदद और हमदर्दी की ज़रूरत है। एक सकारात्मक पहलु यह है कि बहुत से मामलों में हिन्दुओं और मुसलमानों ने एक दूसरे की जान बचायी है। इससे इस बात की भी पुष्टि होती है कि यह फ़साद स्थानीय लोगों की तरफ से नहीं, बल्कि बाहरी लोगों की तरफ से अंजाम दिया गया।
सैयद सआदतुल्लाह हुसैनी ने बताया कि जमाअत इस्लामी हिन्द दंगा प्रभावित इलाक़ों में ज़रूरतमंदों को आवश्यक मदद पहुंचाने का प्रयास पहले दिन से कर रही है। जमाअत राहत और पुनर्वास के कामों को समन्वित और चरणबद्ध तरीके से अंजाम दे रही है। हिंसा के दौरान जान माल की क्षति का सर्वेक्षण करना, पीड़ितों को सरकार द्वारा घोषित लाभ का दावा पेश करने लिए आवश्यक दस्तावेज़ पूरा करने में मदद और मनोवैज्ञानिक परामर्श देना जमाअत के प्रमुख कामों में शामिल है। चिकित्सा सहायता के लिए जमाअत अपने नियंत्रण केंद्र में अस्थायी अस्थाई अस्पताल स्थापित करेगी।
जमाअत के अध्यक्ष के मुताबिक़ जमाअत हिंसा पीड़ितों को एफ़आईआर दर्ज कराने और मुक़दमा लड़ने के लिए क़ानूनी भी मदद कर रही है। हमारे पास परिश्रमी स्वंसेवक हैं जिनमें महिलायें भी शामिल हैं जो हमारी कोशिशों को व्यावहारिक बना सकते हैं। जमाअत ने राहती कामों के समन्वय को बेहतर बनाने के लिए सेंटर स्थापित किया हुआ है।
दिल्ली हिंसा से सम्बंधित जमाअत इस्लामी हिन्द की सरकार से मांगे:
* हिंसा के पूरे प्रकरण का पता लगाने के लिए दिल्ली अल्पसंख्यक आयोग के तहत एक जांच समिति गठित की जानी चाहिए। यह जांच एक महीने में पूरी हो जाए और रिपोर्ट को सार्वजनिक किया जाए और सिफारिशों को लागू किया जाए।
* हिंसा भड़काने वाले ज़िम्मेदार राजनेता को तुरंत गिरफ्तार किया जाए।
* प्रधानमंत्री को राहत शिविरों का दौरा करना चाहिए और सहानुभूति के तौर पर उनके साथ खाना साझा करना चाहिए।
* प्रधानमंत्री को राहत शिविरों के 100 करोड़ की अनुग्रह राशि और अपने घरों, कीमती सामानों, व्यवसाय और आजीविका खो चुके लोगों के पुनर्वास के लिए 1000 करोड़ रुपये की अनुग्रह राशि की घोषणा की जानी चाहिए।
* पुलिस को चाहिए कि वह अपने उन अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करे जो निर्दोष नागरिकों, महिलाओं और बच्चों पर जुल्म और अत्याचार में लिप्त हैं।
* दंगा के मद्देनज़र दिल्ली पुलिस द्वारा हिरासत और गिरफ्तार किए गए लोगों की सूची जारी करे।
* दिल्ली पुलिस को बिना किसी मतभेद के निर्दोष नागरिकों की हत्या, मारपीट और आगजनी के दोषियों को सौ दिन के भीतर गिरफ्तारी का समय दिया जाना चाहिए।