वसीम अकरम त्यागी
उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा बनाया गया ग़ैर-क़ानूनी धर्मांतरण अध्यादेश हिंदू युवती से प्रेम करने वाले मुस्लिम युवक को जेल भेजने के लिये बना है? एक रिपोर्ट के अनुसार उत्तर प्रदेश पुलिस ने ग़ैर-क़ानूनी धर्मांतरण अध्यादेश के बाद अपनी दोहरा चरित्र दिखाया है वह इस बात की पुष्टि कर रहा है कि यह कानून सिर्फ और सिर्फ उन मुस्लिम युवाओं को जेल भेजने का हथियार है जिन्होंने दूसरे समुदाय की युवती से प्रेम किया है। बरेली और मुरादाबाद में दूसरे समुदाय की युवती से प्रेम करने वाले मुस्लिम युवाओं को इस नए ‘क़ानून’ का हवाला देकर जेल भेजा गया है। लखनऊ में तो और भी हद हुई है, लखनऊ में पुलिस इस क़ानून का हवाला देकर दुल्हा और दुल्हन को शादी मंडप से सीधे पुलिस स्टेशन ले आई, वजह सिर्फ इतनी थी कि एक दूसरे समुदाय की युवती की मुस्लिम युवक से शादी हो रही थी, यह शादी लड़का और लड़की की रजामंदी के साथ साथ घर वालों की मर्ज़ी से हो रही थी। शादी की रस्में शुरु होतीं इससे पहले ही पुलिस शादी के मंडप पहुंची और नए क़ानून का हवाला देकर दोनों पक्ष को थाने ले आई।
बरेली में एक और घटना घटी है। बरेली ज़िले के प्रेमनगर थाने में पांच दिसंबर को प्रेमनगर के ही रहने वाले शाहिद मियाँ ने एफ़आईआर दर्ज कराई कि उनकी 22 वर्षीया बेटी को तीन लोगों ने अगवा कर लिया है। बीबीसी से बातचीत में शाहिद मियां कहते हैं, “एक दिसंबर को बेटी बैंक से पैसे निकालने गई थी और उसके बाद वापस नहीं आई। बाद में उसका नंबर भी बंद हो गया। फिर हमने 5 दिसंबर को प्रेमनगर थाने में तहरीर दी की मेरी बेटी का मनोज और अमन ने अपहरण कर लिया है। पुलिस ने अगले ही दिन लड़की को बरामद तो कर लिया लेकिन हमलोगों से न तो बात कराई और न ही मिलने दिया गया। हमें डर है कि उसे कुछ हो न जाए।” इस मामले में बरेली के एसपी सिटी रवींद्र कुमार कहते हैं कि लड़की ने ख़ुद यह बात स्वीकार की है कि वो उसी लड़के के साथ रहना चाहती है।रवींद्र कुमार कहते हैं, “मामले को दर्ज करके अगले ही दिन पुलिस ने लड़की को बरामद कर लिया। लड़की का मेडिकल टेस्ट कराने के बाद कोर्ट में उसके बयान दर्ज कराए गए। लड़का और लड़की दोनों बालिग़ हैं और लड़की ने कोर्ट में लड़के के पक्ष में बयान दिए हैं जिसके बाद कोर्ट ने लड़की को अमन के साथ उसके घर भेज दिया। धर्म परिवर्तन जैसी कोई बात नहीं है।” पुलिस का कहना है कि लड़की ने अपने बयान में कहा है कि उसने 29 सितंबर को आर्य समाज मंदिर में अमन से शादी की थी और उन्होंने यह जानकारी अपने परिवार से छिपाई थी। लड़की के पास शादी के दस्तावेज़ भी थे। पुलिस ने इस मामले को नए अध्यादेश के तहत दर्ज नहीं किया है क्योंकि पुलिस के मुताबिक़, परिजनों ने तहरीर में इस बात का ज़िक्र नहीं किया था कि लड़की का धर्मांतरण कराया गया है जबकि लड़की के पिता शाहिद मियां कहते हैं कि उन्होंने नए क़ानून के तहत ही केस दर्ज करने को कहा था लेकिन पुलिस ने अपने हिसाब से तहरीर लिखवाई और हमारी सुनी नहीं गई।
ऐसे ही एक अन्य मामले में रविवार को मुरादाबाद ज़िले में 22 वर्षीय एक युवक राशिद अली को कांठ क्षेत्र में उस वक्त गिरफ़्तार किया गया जब वह अपनी पत्नी के साथ शादी का पंजीकरण करवाने जा रहे थे। राशिद के साथ उनके भाई सलीम को भी गिरफ़्तार कर लिया गया। पुलिस का कहना है कि लड़की के परिजनों ने शिकायत दर्ज कराई थी कि राशिद ने जबरन धर्मांतरण करके उनकी बेटी के साथ शादी की है। लेकिन पत्रकारों के साथ बातचीत में युवती ने साफ़तौर पर कहा था कि उन्होंने राशिद के साथ गत 24 जुलाई को ही शादी की थी और अब उसका रजिस्ट्रेशन कराने जा रहे थे। मुरादाबाद के पुलिस अधीक्षक प्रभाकर चौधरी ने बीबीसी को बताया, “लड़की की माँ ने आरोप लगाया है कि राशिद ने उनकी बेटी के साथ शादी करने के लिए धोखाधड़ी की और उसका धर्मांतरण करा रहा है। उनकी शिकायत के आधार पर मुक़दमा दर्ज किया गया और गिरफ़्तारी की गई। लड़की को पुलिस संरक्षण में उनकी मां के पास भेज दिया गया है।” लड़की का कहना है कि उन लोगों ने शादी पहले ही कर ली थी और अब शादी का रजिस्ट्रेशन कराने आए थे। स्थानीय लोगों ने बताया कि बजरंग दल के कुछ लोगों ने इस मामले में काफ़ी हंगामा किया और पुलिस पर दबाव बनाया कि वो ग़ैर-क़ानूनी धर्मांतरण अध्यादेश के तहत मुक़दमा दर्ज करके अभियुक्त को गिरफ़्तार करे। बरेली और मुरादाबाद के इन दोनों ही मामलों में लड़की की ओर से कोई शिकायत नहीं की गई, बल्कि परिजनों की ओर से की गई। लेकिन एक मामले में पुलिस ने लड़की के बयान के आधार पर उसके पति के पास रहने की छूट दे दी जबकि दूसरे मामले में लड़की के यह स्वीकार करने के बावजूद कि उसने स्वेच्छा से शादी की है, लड़के को गिरफ़्तार कर लिया।
दूसरे समुदाय की युवती से प्रेम करना यदि अपराध है तो फिर यह अपराध मनोज के लिये क्यों नहीं है? यह अपराध सिर्फ राशिद के लिये ही क्यों है?क्या सिर्फ इसलिये की राशिद जिस समुदाय से आता है उसके पास बजरंगदल जैसे अतिवादी संगठन नहीं हैं? जो पुलिस प्रशासन पर दबाव बना सकें? या इस क़ानून के मुताबिक़ जेल सिर्फ राशिद को ही जाना होगा, मनोज को नहीं? खुल्लम खुल्ला पुलिस प्रशासन, शासन क़ानून का हवाला देकर लोगों की निजी आज़ादी को छीन रहा है, और जनता धर्म के नाम मदमस्त होकर झूम रही है। दूसरे समुदाय की युवती से राशिद प्रेम विवाह करे तो उसपर मुकदमे लगाकर जेल यात्रा, और अगर यही काम मनोज करे तो उसे हनीमून का टिकट… यह निष्पक्षता है? यह समानता है? यह लोकतंत्र है? या यही भारतीय लोकतंत्र की खूबसूरती है।