स्टाफ़ रिपोर्टर।twocircles.net
सहारनपुर में विद्या प्रकाशन की कक्षा चार की सामाजिक विज्ञान की पुस्तक में इस्लाम धर्म के पैग़म्बर मोहम्मद साहब की तस्वीर पब्लिश किए जाने के बाद तनाव पैदा हो गया था। अब प्रकाशन ने माफी मांगते हुए सभी किताबें वापस लेने की घोषणा की है और कहा है कि भूलवश ऐसा हो गया था,किसी को भी ठेस पहुंचाने की उनकी मंशा नही थी। वो माफी मांगते हैं और भविष्य में ऐसी गलती नही करेंगे।
गौरतलब है कल सहारनपुर के शहर काजी नदीम अख्तर और सांसद फजलुर्रहमान ने डीएम को पत्र सौंपकर कार्रवाई की मांग की थी,जबकि दुकानदारों ने किताब की बिक्री पर रोक लगा दी थी। स्थानीय लोगों में इसे लेकर काफी नाराजगी थी। कुछ लोग मान रहे थे कि यह रमज़ान से पहले धार्मिक भावनाएं आहत कर माहौल बिगाड़ने का भी एक षड्यंत्र हो सकता था।
विद्या प्रकाशन की कक्षा 4 का कोर्स खरीदने पहुंचे लोगों को तब सामाजिक विज्ञान की पाठ्य पुस्तक में यह तस्वीर दिखाई दी थी। इस पाठ का नाम इनक्रेडिबल वर्ल्ड हैं। इसके अध्याय 14 के पेज नम्बर 89 पर पैग़म्बर की फ़ोटो प्रकाशित की गई थी। इसकी जानकारी लगने के बाद लोगों में रोष पनप गया था ,हालांकि दुकानदार को लोगों ने कुछ नही कहा था और बेहद सही तरीके से इसका विरोध किया गया। आहत हुए लोग स्थानीय सांसद के साथ डीएम के यहां पहुंच गए। इस अध्याय को रेणु विश्नोई ने संपादित किया है। क़ाज़ी नदीम अख्तर ने बताया कि इस्लाम धर्म मे पैग़म्बर साहब के चित्र प्रकाशन को अपमानजनक माना जाता है और यह बात सब जानते हैं अब प्रकाशक माफी मांग रहे हैं। हम चाहते हैं कि किसी भी मज़हब की भावनाओं को तकलीफ नही दी जानी चाहिए।
बीते कल इस मुद्दे को लेकर मुस्लिम समाज के जिम्मेदार लोगों के एक प्रतिनिधिमंडल ने जिला प्रशासन से मुलाकात कर विद्या प्रकाशन मंदिर प्राइवेट लिमिटेड दिल्ली के प्रकाशक लेखक रेनू बिश्नोई द्वारा पुस्तक (इंक्रेडिबल वर्ल्ड) कक्षा 4 के विषय समाज शास्त्र के पृष्ठ संख्या 89 पर इस्लाम धर्म के अंतिम पैगंबर हजरत मोहम्मद का फोटो लगाए जाने पर रोष प्रकट किया था। तथा दोषी पर कड़ी कार्यवाही की मांग की थी। यह प्रतिनिधिमंडल में सहारनपुर के सांसद भी शामिल थे।
सांसद हाजी फजलुर्रहमान ने अपर जिलाधिकारी प्रशासन (ए०डी०एम० ई०) को बताया था की इस्लाम धर्म के मानने वाले लोगों में विद्या प्रकाशन मंदिर प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के विरोध जबरदस्त आक्रोश है क्योंकि प्रकाशक/लेखक रेनू बिश्नोई द्वारा पुस्तक पर पैगंबर मोहम्मद साहब की शान में गुस्ताखी करते हुए उनका चित्र लगाया गया है। सांसद हाजी फजलुर्रहमान ने कहा कि इस पुस्तक पर रोक लगनी चाहिए तथा बाजारों व स्कूलों से पुस्तक को हटाना चाहिए।
उनके साथ इंडिया मिल्ली काउंसिल के जिलाध्यक्ष मौलाना अब्दुल मालिक मुगीसी, जामा मस्जिद कलां के प्रबंधक मौलाना फरीद मज़ाहिरी, राव बाबर एडवोकेट, उम्मेद खान सरोहा, अमजद अली खान, वजाहत अली खान, अमर राणा, गय्यूर अली, आकिल फारूक एडवोकेट आदि भी थे।
इस दौरान कुछ अलग तरह की भी प्रतिक्रिया भी सामने आई थी। जैसे सामाजिक कार्यकर्ता फैसल खान कहा था कि मुसलमान पैग़म्बर साहब की तस्वीर को लेकर पूरी तरह सवेंदनशील रहता है और यह बात सब जानते हैं। यह सब जानकर भी लेखक ,संपादक और प्रकाशक की नजरों से यह बात गुजर जाए तो यह संभव नही लगता। यह रमज़ान से पहले माहौल बिगाड़ने की साजिश लगती है हालांकि मुस्लिम समुदाय को कानून का सहारा लेकर प्रकाशक को कटघरे में खड़ा करना चाहिए।
बात बढ़ती देख आज विद्या प्रकाशन की और से माफीनामा आ गया है। प्रकाशन के एमडी सौरभ जैन के अनुसार जैसे ही उन्हें इस गलती की जानकारी मिली,उन्होंने तमाम किताबें वापस मंगवा ली है। वो सभी की भावनाओ का सम्मान करते हैं और माफी चाहते हैं भविष्य में ऐसी भूल नही होगी।