दरोगा ने बेच दी प्रवासी मजदूरों की उम्मीद की साइकिल

Staff Reporter, TwoCircles.net

मुजफ्फरनगर। प्रवासी मजदूरों की तक़लीफ़ों का कोई अंत होता नही दिख रहा है। एक से एक बदतर ख़बर आकर इनकी तक़लीफ़ उजागर कर जाती हैं। अब उत्तर प्रदेश के मुज़फ्फरनगर जनपद से एक बेहद हैरतंगेज करने वाली ख़बर आई है।


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यहां के भोपा थानाक्षेत्र में पुलिस के एक दरोगा के प्रवासी मजदूरों की साइकिल बेचने का ख़ुलासा हुआ है। विड़म्बना यह है कि जिन मज़दूरों की साईकिल बेचने की बात सामने आई है उन मज़दूरों को अभी इस बारे में कोई जानकारी ही नहीं है। यह भी स्पष्ट नही है कि वो मज़दूर अभी क्वारंटीन है अथवा अपने घर जा चुके हैं। स्थानीय सूत्रों द्वारा  बताया यह जा रहा है कि यह मज़दूर क्वारंटीन किए गए थे और साइकिल की हिफाज़त पुलिस को करनी थी। भोपा पुलिस के एक दरोगा ने इनकी हिफ़ाजत करने की बजाय 10 साईकिल को ओने-पौने दाम में बेच दिया।

इस घटनाक्रम का ख़ुलासा एक स्थानीय अख़बार के एक संवाद सूत्र ने किया है । उसने दरोगा के कहने पर 10 साइकिल ले जाकर बेचने वाले होमगार्ड की वीडियो बना ली। इस बातचीत में स्पष्ट हो गया कि यह मज़दूरों की साइकिलें थी और सिर्फ 6 हजार रुपये 10 साईकिल बेच दी गईं।

समाजवादी पार्टी के प्रदेश सचिव मनीष जगन अग्रवाल ने इसके बाद एक बेहद अहम सवाल उठाया है उन्होंने कहा कि प्रदेश भर में हजारों मज़दूर साईकिल से आएं है। प्रदेश सरकार दावा करती है कि सैकड़ो बहुत मज़दूरों को बस से उनके गांव भेजा है। यह बताया जाना चाहिए कि इनकी साईकिल कहाँ है! साथ ही क्वारंटीन किए गए मज़दूरों की साईकिल की हिफाज़त भी की जानी चाहिए! मुज़फ्फरनगर जैसी शिकायत अन्य जगह से भी आई है! ऐसा लगता है कि लोगो को साईकिल से ही नफ़रत है। मुज़फ्फरनगर में भोपा में मज़दूरों की साईकिल बेचने के ख़ुलासे से स्पष्ट है कि अब इन्होंने ‘ग़रीबों की साईकिल के साथ घोटाला’ किया है।

मुज़फ्फरनगर के एसपी देहात नेपाल सिंह ने कहा कि मामला उनकी जानकारी में आ गया है और वो इसकी जांच कर रहे हैं। इससे भी ख़ास बात यह है कि स्थानीय सीओ रामनिवास शर्मा ने वीडियो बनाकर सच सामने लाने वाले एक स्थानीय अखबार के संवाद सूत्र को उसी के ख़िलाफ़ मुक़दमा दर्ज करने की चेतावनी दी है। उन्होंने कहा है मामला वैसा है नही जैसा दिख रहा है।

वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गई है इसमें यूपी पुलिस का एक होमगार्ड एक अज्ञात युवक से बात करता हुआ बता रहा है कि ‘दरोगा जी ने मजदूरों की 10 साईकिल बेचने के लिए दी थी, जो 6 हज़ार रुपये की बिक गई है। वीडियो बनाना वाला युवक कहता है! इतनी सस्ती! इस पर पास में ही यूपी पुलिस का सिपाही युवक कहता है कि 5 हज़ार रुपये मिल रहे थे। कह सुनकर 6 हज़ार करवा दिए।एक-एक साईकिल 500₹ रुपये की बेची गई है। वीडियो में बातचीत से स्पष्ट होता है कि साईकिल मज़दूरों की ही बेची गई है।

बताया जा रहा है कि यह वीडियो भोपा थाना क्षेत्र के स्वामी कल्याण देव कॉलेज के परिसर की है। यहां गुज़र रहे मज़दूरो को रोका गया है। स्थानीय प्रशासन का दावा है वो इन्हें यहां खाना भी उपलब्ध करा रहा है। पिछले सप्ताह मुज़फ्फरनगर में ही मजदूरों के खाने को लेकर क्वारंटीन घोटाला हुआ है।

भोपा थाना प्रभारी संजीव कुमार मामले से अनभिज्ञता जता रहे हैं। मुज़फ्फरनगर समाजवादी पार्टी के महासचिव ज़िया चौधरी ने कार्रवाई न करने के लिए ज़िला प्रशासन को कटघरे में खड़ा किया है।उन्होंने कहा है कि यह अत्यंत शर्मनाक है मज़दूर पहले ही भारी त्रासदी से जूझ रहे हैं। कुछ महिलाओं ने अपने ज़ेवर बेचकर साईकिल ख़रीदी है जिससे वो अपने घर जा सकें। यह उनकी उम्मीद की साईकिल है। मानवीय संवेदना पर प्रहार किया गया है। हमनें स्थानीय स्थानीय प्रशासन से कार्रवाई की मांग की है। वो मामले की लीपापोती कर रहे हैं। शायद वो समझते हैं कि मज़दूर आकर उनकी शिकायत नही करेंगे। हम पीड़ित  मज़दूरों से संपर्क करने का प्रयत्न कर रहे हैं।यह शर्मनाक है।

जानसठ एसडीएम कुलदीप मीणा पूरे आरोप का निराधार बता रहे हैं।उनका कहना है कि मोरना में कल ही प्रवासी मज़दूरों के लिए बस लगाई गई थी। इसकी 52 लोगो की कैपिसिटी होती है। हम सोशल डिस्टेन्स का ख्याल रखते हुए भेजते है। इसलिए हमनें 26 लोगो की सूची तैयार की। एक बस में नियमपूर्वक इतने ही लोग जा सकते थे।यह सभी बिहार के लोग थे। वो अपनी साईकिल छोड़ना नहीं चाहते थे। इन 26 लोगों में से सिर्फ तीन लोगों के पास साईकिल थी। वो साईकिल से जाना चाहते थे। साईकिल छीने जाने और बेचे जाने का आरोप निराधार है।

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