कनहर ने लिया बदला, बाढ़ में यूपी सरकार का बांध

सिद्धांत मोहन, TwoCircles.Net,

सोनभद्र: सोनभद्र के दुद्धी में कनहर नदी पर सिंचाई परियोजना के तहत बन रहे बांध के साथ-साथ उत्तर प्रदेश सरकार की नीतियों-योजनाओं का इम्तिहान दस्तक दे रहे मानसून ने ले लिया है.


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मानसून की आहट आते ही छत्तीसगढ़ से चली आ रही कनहर नदी ने बीते मंगलवार को विकराल रूप धरा. देखते ही देखते इस नदी ने उत्तर प्रदेश सरकार की 1400 करोड़ की परियोजना का एक मानक आंकलन कर दिया. छत्तीसगढ़ के पहाड़ी इलाकों में हुई बारिश से मंगलवार शाम कनहर की सहायक नदी पांगन लबालब पानी से भर गयी. पांगन में बढ़े इस अचानक जलस्तर से कनहर में बाढ़ की परिस्थिति पैदा हो गयी है.


Kanahar Flood

नदी में उफान आने के बाद अमवार गांव और नदी के दूसरी ओर स्थित गांवों के बीच संपर्क टूट चुका है. इसके साथ-साथ छत्तीसगढ़ और उत्तर प्रदेश की सीमा साझा कर रहे गांवों के बीच मौजूद एकमात्र रपटा सम्पर्क मार्ग पूरी तरह से ध्वस्त हो चुका है, जिस वजह से दोनों राज्यों के गांवों का सम्पर्क ख़त्म हो चुका है.

ज्ञात हो कि बांध निर्माण के लिए कनहर नदी की धारा मोड़ने के लिए एक हफ्ते से अभियंताओं ने प्रयास शुरू कर दिए थे. अभियंता फील्ड हॉस्टल में कई रोज़ से नदी की धारा बाईं ओर मोड़ने के लिए मीटिंगें चल रही थीं.

बाढ़ के बाबत सिंचाई परियोजना के अधिकारियों की बात करने पर बांध परियोजना की असल सचाई का पता चलता है. परियोजना के अधिकारी रामगोपाल कहते हैं, ‘अभी जलस्तर में बढ़त उतनी नहीं है. फिर भी हमने बढ़े हुए पानी को डायवर्ट करने के लिए अलग लेन का निर्माण कर लिया है. उफान के पानी को हम डायवर्ट कर दे रहे हैं.’ डायवर्ज़न की हक़ीकत जानने के लिए हमने रामगोपाल से क्षमता का हिसाब पूछा तो उन्होंने कहा, ‘अभी हम 1000-1200 क्यूसेक बढ़े हुए जल को बखूबी डायवर्ट कर सकते हैं.’ यह पूछने पर कि क्या इससे अधिक पानी की मात्रा को रोका जा सकता है, रामगोपाल ने जानकारी दी, ‘हमारा डिज़ाइन अभी उस स्तर का नहीं है. इससे अधिक पानी बढ़ने पर और भी ज्यादा नुकसान झेलना पड़ सकता है.’


Kanahar Flood

कनहर पर बन रहे बांध का कार्य बुरी तरह से प्रभावित हुआ है. बांध निर्माण स्थल को गांवों से जोड़ने के लिए निर्मित कच्चे रास्ते बह चुके हैं. बांध से जुड़े अधिकारी किसी भी नुकसान की खबर से इनकार कर रहे हैं, लेकिन मौके पर स्थिति भयावह है. सोनभद्र में कनहर और बिजुल नदियों की बाढ़ को लेकर कहा जाता है कि इन्हें तैरकर पार नहीं किया जा सकता है.

कनहर के डूब क्षेत्र में मौजूद आदिवासी बताते हैं कि उनका छत्तीसगढ़ के गांवों से संपर्क बुरी तरह से प्रभावित हुआ है. लोग बताते हैं कि दूसरे इलाकों में जाने के लिए लगभग 5-6 किलोमीटर की ज्यादा दूरी तय करनी पड़ती है. पहाडी नदी होने के कारण कनहर और उसकी अन्य सहायक नदियों में बाढ़ की आशंका को लेकर TwoCircles.Net ने पहले ही संभावना ज़ाहिर की थी.

चूंकि अभी मानसून ने अपना प्रभाव पूरी तरह से दिखाना नहीं शुरू किया है, इसलिए डूब क्षेत्र के आदिवासी मानसून में आने वाली बाढ़ की परिस्थिति से बुरी तरह से सशंकित हैं. बांध के अधिकारियों का दावा है कि वे सभी संभावित परिस्थितियों से निबटने के लिए स्थानीय लोगों को ट्रेन कर रहे हैं, लेकिन आदिवास की हक़ीकत कुछ और ही कहती है.

आशंका है कि मौसम बदलने के साथ-साथ छत्तीसगढ़ और झारखंड के सीमावर्ती इलाकों में स्थिति और भी खराब हो सकती है. छत्तीसगढ़ का सिंचाई विभाग लगातार कनहर के जलस्तर को माप रहा है, वहीँ शिवपाल सिंह यादव ने धमकी के स्वर में कहा है कि यदि मध्य प्रदेश ने प्रतिरोध नहीं ख़त्म किया तो वे उत्तर प्रदेश की ओर से मध्य प्रदेश की ओर जाने वाले पानी को रोक देंगे.

अभी तक न तो आदिवासियों को भूमि मिली है, न तो मुआवज़ा. उत्तर प्रदेश के सिंचाई मंत्री शिवपाल सिंह यादव इस महीने की शुरुआत में शिलान्यास कर चुके हैं. इसके साथ यह कनहर सिंचाई परियोजना का तीसरी बार शिलान्यास है. निर्माण स्थल पर नींव में कंक्रीट भरने का काम शुरू हो चुका है. उत्तर प्रदेश में अखिलेश सरकार के साथ-साथ एचईएस के करोड़ों रूपए के संसाधनों का इम्तिहान पर्यावरण और नदी की पारस्थितिकी ने ले लिया है.

इस खबर के पाठकों के पास पहुंचने तक सोनभद्र जिला भयानक तूफ़ान से जूझ चुका है और बांध समेत पूरा इलाका मूसलाधार बारिश से सराबोर हो चुका है. बांध के डूब क्षेत्र के नागरिक इस वर्तमान स्थिति से परेशान हैं.

तस्वीरें – राकेश अग्रहरी

[कनहर पर TCN की पिछली कड़ियां : एक, दो, तीनचार, ]

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