एनडीए की बारात में सभी दूल्हे

अफ़रोज़ आलम साहिल, TwoCircles.net

पटना: बिहार चुनाव में एनडीए की रंग-बिरंगी बारात उछलते-कूदते आगे बढ़ रही है. मगर इस बारात का ‘दूल्हा’ कौन है, खुद बारातियों को भी नहीं पता. दूल्हा यानी मुख्यमंत्री प्रत्याशी.


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ऐसे में भाजपा के पार्टी आलाकमान खुद उलझन में है कि किसे मुख्यमंत्री के तौर पर पेश करें. किसी एक के नाम पर मुहर लगाने से संभव है कि अगला कोई रूठ जाए. आख़िर इस ‘दूल्हा’ बनने की हसरत ने ही तो सबको बांधे रखा है. नहीं तो पार्टी की तमाम उम्मीदें चुनाव के नतीजे आने के पहले ही धराशायी हो जातीं.

इन सबके बावजूद हर रोज़ एक नए ‘दूल्हे’ का नाम इस चुनावी मौसम में आ ही जाता है. फ़िलहाल बिहार विधानमंडल में भाजपा के नेता सुशील कुमार मोदी पार्टी की ओर से खुद मुख्यमंत्री के लिए सबसे प्रबल दावेदार मानकर आगे चल रहे हैं.

गया टाउन के विधायक प्रेम कुमार ने भी इस बार चुनाव के दौरान खुद को मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार बताकर लोगों से वोट देने की अपील की है. गया शहर में जाकर भाजपा नेता शाहनवाज़ हुसैन ने बज़ाब्ता ऐलान किया कि राज्य में एनडीए की सरकार बनी तो डॉ. प्रेम कुमार को ही सीएम बनाया जाएगा. लेकिन जब इस बात को मीडिया ने तूल दे दिया तो शाहनवाज़ हुसैन ने अपने बयान से पल्ला झाड़ लिया. हालांकि शाहनवाज़ हुसैन के समर्थक दबी ज़बान में बताते हैं कि खुद शाहनवाज़ हुसैन भी चाहते हैं कि उन्हें बिहार की सत्ता सौंपी जाए.

प्रेम कुमार की तरह कई ऐसे विधायक हैं जो अपने विधानसभा क्षेत्र में खुद को भावी मुख्यमंत्री बताकर वोट मांग रहे हैं. रोहतास जिले के दिनारा विधानसभा क्षेत्र के उम्मीदवार राजेन्द्र प्रसाद सिंह के समर्थक भी उनको बिहार का भावी मुख्यमंत्री बता चुके हैं. तो वहीं बेतिया विधानसभा क्षेत्र की उम्मीदवार व भाजपा की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष के कई समर्थक भी यह प्रचारित करते नज़र आए कि इस बार रेणु देवी मुख्यमंत्री पद की उम्मीदवार हैं.

इन विधायकों की बात छोड़ दी जाए तो एनडीए के तमाम घटक दल के सरबराह मुख्यमंत्री बनने को बेताब नज़र आ रहे हैं. पहले हिन्दुस्तानी अवाम मोर्चा (सेक्यूलर) के मुखिया जीतनराम मांझी ने खुद को पासवान से बड़ा नेता बताकर मुख्यमंत्री बनने की इच्छा ज़ाहिर की. फिर लोक जनशक्ति पार्टी के प्रमुख रामविलास पासवान ने सीएम पद की उम्‍मीदवारी पर अपना दावा ठोक दिया. बल्कि पासवान ने पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का सहारा लेते हुए यह भी कह डाला कि अटलजी के समय यह चर्चा हुई थी कि बिहार का मुख्‍यमंत्री किसे होना चाहिए. इसको लेकर अटलजी के आवास पर एक बैठक भी बुलाई गई थी, जिसमें यशवंत सिन्‍हा, नीतीश कुमार और लालकृष्‍ण आडवाणी ने शिरकत की थी. खुद अटलजी ने मेरा नाम सुझाया था.

पासवान यहीं नहीं रूके. उन्होंने यह भी बता डाला कि ‘अटलजी ने कहा कि हमारी बात यदि आपलोग माने तो मैं कहूंगा कि रामविलासजी को मुख्‍यमंत्री बना दीजिए. सरकार अच्‍छे से चल जाएगी.’

पासवान जी को यह बोलना था कि भाजपा नेता शत्रुघ्न सिंहा ने अपनी भी इच्छा ज़ाहिर कर दी कि पासवान जी ही बेहतर मुख्यमंत्री रहेंगे. हालांकि मुख्यमंत्री बनने की रेस में कभी खुद शत्रुघ्न सिन्हा भी माने जा रहे थे.

भाजपा के वरिष्ठ नेता व राज्यसभा सांसद सी.पी. ठाकुर ने भी खुद को मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार के रूप में दावा पहले ही ठोंक चुके हैं. उन्होंने प्रेस कांफ्रेस में कहा कि ‘अगर पार्टी चाहे तो मैं अपने बिहार के मुख्यमंत्री पद की ज़िम्मेदारी उठाने के लिए तैयार हूं.’

गिरिराज सिंह ने अपना यह बयान देकर पिछड़ी जाति के नेताओं के बीच जंग को बढ़ा दिया कि ‘सीएम पिछड़ी जाति का ही होगा.’ गिरिराज सिंह यहीं नहीं रूके. बिहार भाजपा में चेहरे की कमी के सवाल पर उन्होंने यह भा बोल दिया कि ‘हमारे पास बहुत चेहरे हैं. नंदकिशोर यादव, रामकृपाल यादव, हुकुमदेव नारायण यादव और प्रेम कुमार हैं. हमारे पास चेहरों की कोई कमी नहीं है.’ अब सिंह जी के इस बयान से सवर्ण नेता परेशान हो गए और इस बयान को उनका निजी बयान बताने लगे.

बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष नंदकिशोर यादव भी ‘मुख्यमंत्री’ रेस के मज़बूत दावेदार माने जा रहे हैं. हुकुमदेव नारायण के समर्थकों ने यह बोलना भी शुरू कर दिया कि गिरिराज ने जिन नेताओं के नाम गिनाये हैं इसमें सबसे वरिष्ठ नेता हुकुमदेव नारायण यादव ही हैं. इस बार ‘मुख्यमंत्री’ इन्हें ही बनाया जाएगा.

कहानी यहीं ख़त्म नहीं होती. मुख्यमंत्री बनने की हसरत रखने वालों की फेहरिस्त अभी काफी लम्बी है. नरेंद्र मोदी मंत्रिमंडल में वरिष्ठ मंत्री रविशंकर प्रसाद, गिरिराज सिंह, रामकृपाल यादव, उपेंद्र कुशवाहा जैसे कई नाम इस रेस में शामिल हैं. उपेन्द्र कुशवाहा ने भी पिछले शुक्रवार को यह बोल दिया कि ‘चुनाव के बाद एनडीए का कोई भी लीडर मुख्यमंत्री बन सकता है और एनडीए में होने के नाते वो खुद भी मुख्यमंत्री उम्मीदवार हो सकते हैं.’ यह बात भाजपा के नेता और स्टार प्रचारक मनोज तिवारी को नागवार गुज़री. उन्होंने तुरंत अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कह डाला कि ‘इस बात में कोई शक नहीं होना चाहिए कि सीएम गठबंधन की सबसे बड़ी पार्टी भाजपा का ही होगा.’

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