अफ़रोज़ आलम साहिल, TwoCircles.net
नई दिल्ली : ‘मुझे किसी भी सियासत में कोई दिलचस्पी नहीं है. मुझे बस मेरा नजीब चाहिए. जो पुलिस बड़े-बड़े मामलों को चुटकी में हल कर देती है, वो मेरे नजीब को क्यों नहीं ढ़ूंढ़कर ला रही है. आख़िर पुलिस अपनी ज़िम्मेदारी निभाने से पीछे क्यों हट रही है?’
यह सवाल है कि उस बेबस व लाचार मां के हैं, जिसका ‘नजीब’ पिछले 60 दिनों से ग़ायब है. नजीब की मां फ़ातिमा नफ़ीस यह बातें TwoCircles.net के साथ उस वक़्त बातचीत में कहीं, जब वो बुधवार को मंडी हाउस से पार्लियामेंट स्ट्रीट थाने तक पैदल मार्च कर रही थी.
इस पार्लियामेंट मार्च में नजीब की बड़ी बहन सदफ़ मुशर्रफ़ के साथ-साथ ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमिन के सरबराह व सांसद असदुद्दीन ओवैसी, जदयू से राज्यसभा सांसद अली अनवर, समाजवादी पार्टी के लोकसभा सांसद धर्मेन्द्र यादव, जेएनयूएसयू के तमाम नेता, जेएनयू के सैकड़ों छात्र, बदायुं व दिल्ली के सैकड़ों आम लोग और मजिलस व सपा के आम आदमी पार्टी के छात्र संगठन के हज़ारों कार्यकर्ता शामिल थे.
इस पार्लियामेंट मार्च में दिल्ली पुलिस के ख़िलाफ़ जमकर नारेबाज़ी की गई और सरकार को जल्द से जल्द नजीब को ढ़ूंढ़ कर लाने का अल्टीमेटम दिया गया.
सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने संसद मार्ग पर लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि –‘मोदी सरकार नजीब को लाने या नजीब कहां है, इस बात का पता लगाने में नाकाम साबित हुई है. दरअसल, मोदी सरकार अपने साथियों को बचाने के लिए इस बात की तहक़ीक़ात सही तरीक़े से नहीं कर रही है.’
ओवैसी ने आगे कहा कि –‘नजीब के लिए हमारी लड़ाई जारी रहेगी. यह पहली विरोध-प्रदर्शन है, इंशा-अल्लाह ये आख़िरी नहीं होगा. हम सरकार से इस बात की मांग करते हैं कि एक जईफ़ मां जो अपने बेटे के लिए दो महीने से तड़प रही है, जल्द से जल्द उसके बेटे को उसके सामने हाज़िर करे और एबीवीपी के जिन छात्रों से उसकी लड़ाई हुई थी, उन्हें पहले अरेस्ट करे. इन्हीं छात्रों से यक़ीनन नजीब का पता चल जाएगा.’
बताते चलें कि जेएनयू में एमएससी बायोटेनालॉजी का छात्र 27 साल का नजीब अहमद पिछले 14 अक्टूबर से लापता है. और इस लापता नजीब का दिल्ली पुलिस व सरकार को दो महीनों से कोई सुराग नहीं मिल पाया है. नजीब के परिवार वालों का आरोप है कि नजीब लापता नहीं हुआ है, बल्कि अगवा किया गया है. दिल्ली पुलिस अगवा करने करने वाले भाजपा और संघ समर्थित छात्र संगठनों के नेताओं को बचाने के लिए मामले में लापरवाही बरत रही है.
फ़ातिमा नफ़ीस ने इस मार्च में शामिल हज़ारों प्रदर्शनकारियों को संबोधित करते हुए कहा कि -‘नजीब का पता लगाने के लिए मेरे संघर्ष में शामिल होने के लिए मैं आप सभी का शुक्रिया अदा करती हूं और नजीब का पता चलने तक मैं आप सभी का साथ चाहती हूं.’
नजीब के परिवार के मुताबिक़ दिल्ली पुलिस व सरकार इस मामले को और उलझाने की कोशिश में लगे हुए हैं. कभी नजीब को पागल क़रार देने की कोशिश की जाती है. तो कभी कहा जाता है कि नजीब को जामिया नगर इलाक़े में देखा गया है, तो कभी दरभंगा में देखा गया तो कभी अलीगढ़ में देखा गया है. कभी पुलिस कहती है कि पुलिस दरगाहों में खोज रही है, तो कभी बताया जाता है कि नजीब किसी तांत्रिक के साथ चला गया है. हर रोज़ नई-नई कहानियां बनाई जा रही हैं. आख़िर पुलिस नजीब को लेकर हमें इतना गुमराह क्यों कर रही है.
स्पष्ट रहे कि नजीब अहमद के बारे में पुलिस के हाथ कोई सुराग नहीं लगने के मामले में दिल्ली हाई कोर्ट इस दिल्ली पुलिस की खिंचाई भी कर चुकी है.
दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा था कि –‘यह चिंता का विषय है. नजीब की मां एक जगह से दूसरी जगह जा रही हैं, उनका कहीं पता नहीं चल रहा है. 50 से ज्यादा दिन हो गए और पुलिस को गायब स्टूडेंट के बारे में कुछ भी पता नहीं, यह कैसे हो सकता है? अगर अंदेशे में सबसे आखिरी स्तर तक भी जाएं तो भी कुछ तो मिलेगा.’