TwoCircles.net Staff Reporter
पटना : अन्तर्राष्ट्रीय मजदूर दिवस पर जेएनयू छात्रसंघ अध्यक्ष कन्हैया कुमार ने पटना के श्रीकृष्ण मेमोरियल हॉल में कल एक सभा को संबोधित किया. एआईएसएफ और एआईवाईएफ द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि ज्यादा कन्हैया-कन्हैया नहीं कहिये, नहीं तो मोदी-मोदी सुनाई पड़ने लगेगा.
कन्हैया ने कहा कि आज सुबह अख़बार पढ़ते हुए नज़र पड़ी कि लालू जी का पैर छूना भी ख़बर बन गयी है. जो लोग संस्कृति की ठेकेदारी की बात करते हैं वे पैर छूने पर क्यों ऐतराज कर रहे हैं. हमारी संस्कृति में बड़ों बुर्जुगों के सम्मान की बात कही गयी है. हालांकि कन्हैया ने बिहार में लालूप्रसाद यादव के राज में फ़ैली गुंडागर्दी और आपराधिक गतिविधियों पर कोई बात नहीं कही.
कन्हैया कुमार ने कहा कि जो लोग यह सवाल उठा रहे हैं कि गरीब के बेटे को हवाईजहाज का किराया कौन दे रहा है? उनको आज की तस्वीर खींचकर भेज देनी चाहिए कि जब आप जनता की बात करते हैं, तो जनता भी आपको सहयोग समर्थन के लिए तैयार रहती है. दूसरी बात कि मुंबई के मजदूरों ने संदेश भिजवाया कि उन्होंने दस हजार रूपये जुर्माना भरने के लिए चंदा इकट्ठा किया हुआ है. जब मैंने कहा कि मुझे जुर्माना नहीं भरना है तो मजदूरों ने कहा कि वे कानूनी लड़ाई लड़ने के लिए खर्च देंगे.
बकौल कन्हैया, ‘एक व्यक्ति को मात्र एक वोट से जोड़कर देखना नहीं चाहिए. बिहार में सामंतवाद को कड़ी चुनौती दी गयी है. इसी बिहार की धरती पर सांप्रदायिकता का रथ रूका था और मोदी का भी रथ यहीं फंस गया है. बिहार में रणवीर सेना के खिलाफ़ लोगों ने संघर्ष किया है. धनकुबेरों के घर पैसा बरसता है. अमीर और अमीर बन जाता है जबकि गरीब गरीब ही बना रहता हैं. आईएएस का बेटा आईएएस बनना चाहता है, लेकिन किसान का बेटा किसान नहीं बनना चाहता है क्योंकि खेती अब घाटे का सौदा है.
मोदी की नीतियों और वादों को आड़े हाथों लेते हुए कहा, ‘मोदी जी ने चुनाव से पहले हर व्यक्ति के बैंक खाते में 15 लाख रूपये देने का वादा किया था. अगले चुनाव तक 15 लाख नहीं आया तो मोदी जी भी नहीं आएंगे. केन्द्र सरकार आम लोगों की कमाई का पैसा जनता के हितों में न खर्च कर उद्योगपतियों के खर्च में लगी हुई है. केन्द्र सरकार यह आरोप लगा रही है कि जेएनयू जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों में पीएचडी के लिए दी जानेवाली फेलोशिप जनता के टैक्स की बर्बादी है. यह एक अजीब तर्क है कि जहां गरीब और हाशिए पर खड़े छात्र-छात्राओं को उच्चतर की डिग्री के लिए दिए जानेवाली फंलोशिप को सरकार पैसे की बर्बादी बता रही है.’
मौजूदा परिवेश में मजदूरी और मजदूरों की स्थिति के बारे में बात करते हुए कन्हैया ने कहा, ‘खेत-खलिहान में काम करने वाले मजदूर भले ही भोजपुरी या मगही बोलते हैं और कुछ गंदा कपड़ा पहनते हैं लेकिन फैक्ट्री और अन्य व्यावसायिक प्रतिष्ठानों में काम करने वाले मजदूरों का पोशाक अलग होता है. वे पैंट, शर्ट और टाईं में दिखते हैं तथा अंग्रेजी भी बोलते हैं लेकिन उनकी हालत भी मजदूर जैसी ही है. इन दोनों श्रेणियों के मजदूरों की हालत में सुधार की मांग करते हुए केन्द्र सरकार को बड़ी-बड़ी बातें करने के बजाय आम लोगों की समस्याओं का हल खोजना चाहिए.’
ब्राह्मण और ब्राह्मणवादियों में फर्क समझाते हुए कन्हैया ने कहा, ‘ऊंचनीच का भेदभाव करने वालों को ब्राह्मणवादी कहा जाता है. अगर निचली जाति के लोग भी यदि जातिवाद को बढ़ावा देते हैं. तो वे भी ब्राह्नणवादी है.’
शनिवार को बिहार के मुख्यमंत्री नीतिश कुमार से मुलाक़ात के दौरान कन्हैया ने उनसे मांग की कि समान स्कूल प्रणाली सूबे में लागू किया जाए तभी कोई कायाकल्प हो सकता है. इससे पूर्व सभा को संबोधित करते हुए एआईएसएफ के राष्ट्रीय महासचिव विश्वजीत कुमार ने कहा कि आपकी परिस्थिति में छात्र-युवाओं को मतभेद किनारे कर एकसाथ आना होगा और देश के अंदर फासीवादी हुकूमत के अपने हितों की रक्षा के लिए झकझोरना होगा. जेएनयू सबके न्याय की बात करता है. इसलिए जेएनयू से संघ परिवार को चिढ़ है.
कन्हैया के शोध प्रबंधक प्रो॰ एसएन मालाकार ने कहा कि स्टार्ट अप इण्डिया और स्टैण्ड अप इण्डिया पूंजीवादी चालाकी है. लाभ का निजीकरण और हानि के सामाजीकरण के षडयंत्र को समझना होगा. उन्होंने कहा कि कन्हैया जैसे विद्यार्थी ने उनका मान बढ़ाया है. कन्हैया को प्रारंभिक दिनों में मार्क्सवाद की शिक्षा देने वाले शिवशंकर शर्मा ने कहा, ‘एआईएसएफ संघर्ष की राह पर है. रोहित वेमुला की हत्या के बाद देश में दो खेमे बन गए. एक न्याय और दूसरे अन्याय का…रोहित के हत्यारों स्मृति ईरानी और छात्रसंघ की बात करनी चाहिए कि देशद्रोही कौन है और देशभक्त कौन है? इस सवाल को उठाने के पहले देखना होगा कि कौन आजादी के आंदोलन में था और कौन नहीं?’