TwoCircles.net Staff Reporter
मुंबई : पिछले 25 सालों से मुस्लिम महिलाओं के बीच काम रहसामाजिक कार्यकर्ता उज़मा नाहिद को उनके महिला कल्याण और आर्थिक विकास के कार्यों से प्रभावित होकर इंटरनेशनल अवार्ड से सम्मानित किया गया.
ये सम्मान गत सोमवार को वर्ल्ड ट्रेड सेंटर द्वारा महिलाओं के आर्थिक विकास से संबंधित एक वैश्विक सम्मेलन में दिया गया. इस सम्मेलन में दुनिया भर के अर्थशास्त्री व व्यापारी शरीक थे.
इस वैश्विक सम्मेलन को संबोधित करते हुए उज़मा नाहिद ने एक मां की कहानी सुनाई, जिसे उसके पांच बेटों ने घर से बाहर फेंक दिया था. अपने बेटों की इस घिनौनी हरकत के बाद वो बेहोश हो गई और पूरी रात सड़क पर ही पड़ी रही. सड़क पर आवारा कुत्तों ने उसे खाने की कोशिश की.
उज़मा नाहिद ने आगे कहा कि, ‘इस घटना ने मेरे अंदर इतनी बेचैनी पैदा कर दी कि इसी दिन से मैंने महिलाओं को सशक्त बनाने क़सम खा ली. बस यहीं से मैंने गरीब और बेसहारा महिलाओं के रोज़गार के लिए कई कार्यक्रम शुरू किए और उन्हें धन उपलब्ध करवाया ताकि यह महिला अपने कौशल के माध्यम से विभिन्न उत्पादें बना सकें. ऐसी गरीब महिलाओं के सामने यह समस्या है कि माल कैसे खरीदें और अपने उत्पादें कहाँ बेचें.’
उन्होंने आगे कहा कि, ‘महिलाओं के पास प्रतिभा है और आमतौर पर यह महिलाएं बहुत कम वेतन पर मजदूरी करती हैं और लाभ व्यापारियों की जेब में चला जाता है.’
बताते चलें कि उज़मा नाहिद का संगठन इक़रा इंटरनेशनल वूमेन्स अलाएंस (IIWA) महिलाओं का संगठन है, जिसने विभिन्न शहरों में अपने केंद्र स्थापित करके बेसराहा महिलाओं को धन उपलब्ध करवाके उनकी शिल्प व कौशल का इस्तेमाल किया और फिर बड़े शहरों में प्रदर्शनियों के माध्यम से बड़े शो रूम्स में बेचने का काम किया. या फिर बड़े व्यापारियों से संपर्क करके उनकी हाथ की बनाई चीज़ों को उच्च क़ीमत पर बेचने की व्यवस्था की, जिससे इन महिलाओं की क़ीमत कई गुणा बढ़ गई.
आज इस संस्था के माध्यम से भारत भर में केवल महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश और बिहार में हजारों महिलाएं डेढ़ सौ से अधिक उत्पाद बना रही हैं, जो भारत और विदेशों में लोकप्रिय हैं. आमतौर ये औरतें अपने घरों से ही काम कर रही हैं ताकि वे अपनी घरेलू जिम्मेदारियों का भी निर्वहन अच्छे से कर सकें. तलाक़शुदा और विधवा औरतें भी बड़ी संख्या में इस संस्था के विभिन्न योजनाओं से लाभ उठा रही हैं.
उज़मा नाहिद का मानना है कि जिस तरह प्राचीन काल में महिलाएं व्यापार करती थीं, उसी तरह आज भी मुस्लिम महिलाएं व्यवस्था के दायरे में रहते हुए कई काम कर सकती हैं और गरीबी और तंगदस्ती से छुटकारा पा सकती हैं, जिससे उनके बच्चों का भविष्य नष्ट होने से बच सकता है.