By TCN News,
हैदराबाद: अमरीका स्थित संस्था इन्डियन मुस्लिम रिलीफ़ और चैरिटीज़ (आईएमआरसी/ IMRC) हर माह-ए-रमज़ान के दौरान एक विशेष कार्यक्रम चलाती है, जिसके तहत गरीब और ज़रूरतमंद लोगों को अनाज और गर्म खाने रमज़ान के दौरान दिए जाते हैं. इस कार्यक्रम के तहत IMRC गांवों और झुग्गियों तक पहुँचती है ताकि हरेक ज़रूरतमंद परिवार रमजान के दौरान अपनी सहरी और इफ़्तार की ज़रुरत को पूरा कर सके.
एक तरफ IMRC अपने कार्यकर्ताओं के ज़रिए ऑनलाइन फंडिंग द्वारा पैसे जुटाने का कार्य करती है, वहीं दूसरी तरफ हैदराबाद स्थित सहयोगी संस्था ‘सहायता ट्रस्ट’ इसकी जिम्मेदारी उठाती है कि योजनाओं का क्रियान्वन सही तौर पर हो सके. इसके लिए वे ज़मीनी स्तर पर काम कर रहे कई छोटे-बड़े संगठनों का सहारा लेते हैं.
संस्था के निदेशक मंज़ूर घोरी बताते हैं, ‘केवल पिछले ही साल IMRC ने 16 लाख ज़रूरतमंदों को खाना खिलाया था, इसके साथ ही साथ लगभग 18 लाख लोगों को फितर बांटा गया था. आईएमआरसी का कहना है कि इस दफा उनका लक्ष्य कम से कम 20 लाख लोगों के पेट भरने का है.’
कार्यक्रम के भविष्य के बाबत मंज़ूर घोरी का कहना है, ‘इस साल से यह कार्यक्रम हम जम्मू-कश्मीर के बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों के साथ-साथ भूकंप से प्रभावित नेपाल के इलाकों में भी ले जाएंगे.’
पेट भरने की ज़रूरतों से ऊपर उठकर IMRC गरीबों के परिवारों को ईद पर नए कपड़ों के लिए हज़ार रुपयों का योगदान करती है, ताकि हरेक गरीब के घर में भी ईद पूरी शान के साथ मनाई जा सके. 1981 में शुरू हुई IMRC 100 से अधिक संगठनों के साथ मिलकर किस्म-किस्म के कार्यक्रम पूरे देशभर में चलाती है. इस संस्था का प्रमुख उद्देश्य ज़रूरतमंदों को शिक्षा, ज़रुरत के वक़्त मेडिकल केयर, दवाइयां, भोजन और कानूनी मदद मुहैया कराना है. 2014 की कश्मीर बाढ़, 2013 के मुज़फ्फरनगर दंगे, 2012 के असम दंगे और इस तरह की कई आपदाओं के तहत अपने रिलीफ़ कार्यक्रमों के ज़रिए आईएमआरसी ने एक शिखर स्थापित किया है.
IMRC की अपील है कि जो भी इस मुहिम का हिस्सा बनना चाहते हैं और चाहते हैं कि उनके छोटे-से योगदान से समाज के बड़े वंचित हिस्से को खाना मिल सके तो आप http://www.imrcusa.org पर जाकर योगदान कर सकते हैं.