TwoCircles.net News Desk
पटना : जन आंदोलनों का राष्ट्रीय समन्वय (एनएपीएम) ने बिहार के उप मुख्यमंत्री सुशील मोदी के द्वारा मेधा पाटकर के सम्बन्ध में दिए गए बयान पर कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए इसे मानसिक दुराग्रह व दिवालियापन बताया है. साथ ही उनके द्वारा कही बात साबित करने की चुनौती देते हुए सार्वजनिक माफी मांगने को कहा है.
बता दें कि सुशील मोदी ने ट्वीट कर मेधा पाटकर के फंडिंग पर सवाल खड़ा किया है. उन्होंने अपने ट्वीट में लिखा है —‘बोधगया से पकड़े गए आतंकी मोहम्मद अनवर और उसके साथियों ने विदेशी धरती से सक्रिय कई जेहादी संगठनों से रिश्ता खुलेआम कुबूल किया. इसके बावजूद इन लोगों के घर जाकर मेघा पाटकर ने साफ़ कर दिया कि नर्मदा बांध और देश की अन्य विकास योजनाओं के ख़िलाफ़ पर्यावरण या मानवाधिकार की आड़ में आंदोलन चलाने वालों की फंडिंग कौन सी ताक़तें कर रही हैं.’
एनएपीएम द्वारा जारी प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया है कि मेधा पाटकर संवैधानिक मूल्यों व अहिंसक संघर्षो में विश्वास रखने वाली दुनिया में चर्चित सामाजिक कार्यकर्ता हैं. सुशील मोदी राज्य के वित्त मंत्री है, उनकी ही केंद्र में सरकार है, ऐसे भ्रामक बयान के बजाए उन्हें अपने बयान के समर्थन में ठोस सबूत एवं तथ्य प्रस्तुत करने चाहिए थे.
इस प्रेस विज्ञप्ति में यह भी कहा गया है कि मेधा पाटकर जहां आंदोलन करती हैं, वहां भी भाजपानित सरकार है और वहां के मुख्यमंत्री आज केंद्र में प्रधानमंत्री हैं, जो पहले भी मेधा पाटकर के आंदोलन के सम्बंध में बार-बार जांच कराकर थक चुके हैं. हाल ही में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार मेधा पाटकर के आंदोलन के समर्थन में नर्मदा घाटी गए थे. नीतीश कुमार भी अपने यहां चल रहे चम्पारण सत्याग्रह शताब्दी समारोह सहित कई अन्य सार्वजनिक आयोजनों में उन्हें बतौर अतिथि आमंत्रित किए.
दूसरी तरफ़ सुशील मोदी द्वारा यह कहे जाने पर कि गिरफ्तार संदिग्ध युवकों ने आतंकवादी गतिविधियों में अपनी संलिप्तता स्वीकार की है, इस पर एनएपीएम का कहना है कि पुलिस लॉकअप या पुलिस के समक्ष दिए गए बयान क़ानूनन प्रमाणिक एवं सत्य नहीं माने जाते, क्योंकि पुलिस के द्वारा जबरन मानसिक व शारीरिक यातना के द्वारा भी जबरन बात क़बूल करवाए जाते हैं. एनएपीएम का यह भी मानना है कि भारतीय क़ानून अनुसार कोई भी व्यक्ति तब तक दोषी नहीं माना जा सकता, जब तक न्यायालय उन्हें दोषी क़रार न दे. ऐसी अनेक घटनाएं हुई हैं, जिसमें अल्पसंख्यकों पर ऐसे आरोप झूठे साबित हुए हैं. लेकिन संवैधानिक पद पर बैठे सुशील मोदी मानसिक दुराग्रह व दिवालिएपन में ऐसा बयान दे रहे हैं. उनके पास यदि सबूत है तो पेश करें वरना सार्वजनिक रूप से माफ़ी मांगे.
गौरतलब रहे कि एनएपीएम का बोध गया में आयोजित तीसरे राज्य सम्मेलन के समापन समारोह में बतौर अतिथि भाग लेने मेधा पाटकर 11 फरवरी को आई थी. कार्यक्रम के समाप्ति के उपरांत स्थानीय लोगों व पीड़ित पक्षों ने बताया कि जिन युवकों को आतंकियों को फंडिंग देने के नाम पर पकड़ा गया है, वे खुद ही बेहद गरीब हैं. गाड़ियों की मरम्मत कर पेट पालते हैं. भला ये लोग कैसे कश्मीर में फंडिंग करते होंगे. इसके बाद उनके परिजनों से मिलने मेधा पाटकर उनके घर गईं. वहां जाने के बाद उन लोगों के परिजनों व मुहल्ला-वासियों ने बताया कि गिरफ्तारी के संबंध में पुलिस ने सरकारी नियमों का पालन नहीं किया है. उनके परिजनों को गिरफ्तारी के बाद कहां रखा गया है, नहीं बताया गया है.