आस मोहम्मद कैफ, बिजनौर (नहटौर)
बिजनौर में एक दर्दनाक घटनाक्रम में मुफलिसी से तंग आकर एक गरीब औरत ने अपनी दो बेटियों के साथ ख़ुदकुशी कर ली.एक बेटी तो मौके पर मर गई दूसरी अभी जिंदगी के लिए जूझ रही है.
यह घटना बिजनौर जिले के नहटौर थाना के अंतर्गत आने वाले गाँव बैरमनगर में हुई है.पड़ोसियों के मुताबिक महिला के घर में आटा नही था,उसका पति भट्टे पर मजदूरी करता है.उसका काम छुट गया और वो शराब पीने लगा.परिवार में बेहद आर्थिक तंगी आ गई यहाँ तक खाने तक को तरस गये.बच्चो को भूखा तड़पता देख माँ बर्दास्त नही कर पाई.वो लगातार संघर्ष से टूट गई. कुसुम (40) अपने चार बच्चो के साथ इस दर्द को सह नही पाई.
उसकी मौत के बाद भी बिजनोर प्रशासन ने परिवार की मदद करने से इंकार कर दिया.स्थानीय एसडीएम वीरंद्र मौर्य के मुताबिक महिला का घर पक्का है उसका राशन कार्ड भी बना हुआ है इसलिए उसके परिवार को मुआवजा नही दिया जा सकता.
बसपा के पूर्व विधायक शीशराम सिंह कहते है कि ” यह बेहद शर्मनाक स्थिति है और सरकार इसपर अपनी जवाबदेही से नही बच सकती,भट्टे पर काम करने वाले मजदुर साल भर में आठ महीने बेरोजगार रहते है,यह तर्क भी अजीब है पीड़ित परिवार का पक्का घर है आर्थिक तंगी पक्के घर वालो को भी हो सकती है”.
महिला कुसुम के पति सुखबीर के दो और भी बच्चे है इनमे एक पुत्र ऋतिक सहित बेटियां है.जिस समय महिला ने अपनी दोनों छोटी बेटियों के साथ ज़हर खाकर जान दी उस समय दोनों बड़े बच्चे स्कूल गये हुए थे.पिछले काफी समय से बच्चो की स्कूल फीस भी जमा नही की गयी है.कमाल यह है बिजनोर प्रशासन बात का रुख पलटने में रूचि ले रहा है और यह मानने के लिए तैयार नही है की यह आत्महत्या गरीबी से तंग आकर की गई है.
दूसरी तरफ गाँव के प्रधान सुरेन्द्र सिंह इसकी पुष्टि करते है वो कहते है यह परिवार बेहद आर्थिक तंगी से गुजर रहा था अक्सर पडोसी इनके बीच की बातचीत को सुन लेते थे चूँकि महिला खुद्दार थी इसलिए वो किसी से मदद मांगने बाहर नही आई,पिछले दिनों उसने एक गाय ली थी जिसका दूध बेचकर वो परिवार चला रही थी बताया जाता है कि गाय के पैसे भी र्सब तक नही दिए गए है. महिला का पति सुखवीर बुरी तरह तनावग्रस्त था और बीमार था.महिला की मौत के बाद पडोसी ओरतो को ऊसके घर में आटा नही मिला.बड़ी बेटी ने बताया की घर में पिछले तीन दिन से खाना नही बना था.
पूर्व प्रधान राजेंद्र सिंह कुसुम की मौत के पीछे आर्थिक कारणों को जिम्मेदार बताते है गांव के लोग भी यही कह रहे हैं राजेन्द्र कहते है “कुसुम का पति सुखबीर बीमार चल रहा था जिससे वो शारीरिक श्रम करने में असमर्थ था.परिवार को कुसुम पालने की कोशिश कर रही थी,जिसमे वो टूट गई”.
कुसुम की बड़ी बेटी तनु के मुताबिक घर में पैसे की कमी थी उसके और उसके भाई की स्कूल फीस भी नही जा पा रही थी.जब कुसुम ने अपनी छोटी बेटी निशि और ख़ुशी के साथ ज़हर खाकर जान दी तो तनु अपने भाई के साथ स्कूल में थी और पिता सुखबीर कंही काम की तलाश में घर से बाहर गया हुआ था.कुसुम की दूसरी बेटी निशि की हालात अब खतरे से बाहर बताई जा रही है जबकि ख़ुशी की तभी मौत हो गयी थी.
गरीबी से तंग आकर आत्महत्या का यह उत्तर प्रदेश में पहला मामला नही है,इससे पहले जुलाई में बरेली में इसी तरह की घटना हो चुकी है यहाँ की आंवला तहसील में दो माह पूर्व अतरछड़ी गाँव में राजवती (60)नाम की महिला ने अपनी बेटी रानी(24) के साथ आर्थिक तंगी से तंग आकर आत्महत्या कर ली थी.जोलाई में ही कुशीनगर में एक दम्पति ने आर्थिक तंगी से परेशान होकर अपने बच्चो के साथ आत्महत्या कर ली थी इसे भी स्थानीय प्रशासन ने गरीबी के वजह से हुई मौत मानने से इंकार कर दिया था.सामाजिक संस्था अस्तित्व की समन्वयक शादाब अंसारी कहती है” गरीबी हटाओ के स्लोगनो के बीच गरीब हट रहे है,सरकारी अफसर बहाना बनाकर अपनी जिम्मेदारी से नही बच सकते,समाज में बहुत से रोजगार न होने की वजह से आर्थिक तंगी से जूझ रहे है जबकि सरकारी रोजगार वाली नरेगा जैसी योजनाओ में भ्रष्टचार चरम पर पहुंच गया है.’