आस मोहम्मद कैफ | सहारनपुर
हाल ही उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के सीमावर्ती इलाके सहारनपुर और भगवानपुर के देहात में हुई ज़हरीली शराब 100 से ज्यादा मौतों से हड़कंप मचा हुआ है.उत्तर प्रदेश के आबकारी आयुक्त हटा दिए गए है. दर्जनों अफसर निलंबित हुए है. मौतों का सिलसिला अब भी जारी है.लगभग एक दर्जन गांवों में मातम पसरा है. इस इलाके में कच्ची शराब का सिंडिकेट चरम पर था.
उत्तराखंड से लेकर मेरठ के खाद्दर इलाके तक होगा गांव-गांव कच्ची शराब का सिंडिकेट क्या असर डाल रहा है!अब इसका अंदाजा लग गया होगा !सहारनपुर ,रुड़की ,मुजफ्फरनगर,मेरठ और बिजनोर के खादर इलाके में कच्ची शराब की भट्ठिया लगी है.जंगलो में बड़े पैमाने पर शराब बनाई जा रही हैं फिर इन्हें गांव-गांव सप्लाई किया जा रहा है.इस वीभत्स घटना के बाद प्रशासनिक आंख खुल गई है.
कच्ची शराब का यह सबसे बड़ा सिंडिकेट मेरठ के हस्तिनापुर,मुजफ्फरनगर के पुरकाजी ,रुड़की के भगवानपुर और चिलकाना इलाके में है.यहां सैकड़ो भट्टियां धधक रही है.गंगा के आसपास के इस इलाके में आबकारी अधिकारी और पुलिस भी जाने की हिम्मत नही जुटा पाती कई बार इन पर हमले भी हुए हैं.
2009में बसपा सरकार के दौरान जरूर एक ऑपरेशन ने इनकी नाक में दम दिया और और कुछ महीनों के लिए इस अवैध शराब सिंडिकेट की कमर टूट गई थी अब फिर ये फिर से खड़ा हो गया था.
उस दौरान जहरीली शराब पीने से एक दर्जन मौत हो गई थी जिसके बाद मेरठ आईजी जावेद अख्तर के नेतृत्व में यहां सैकड़ो भट्टियां तबाह कर दी गई थी. इससे जुड़े कारोबारी का क्रेकडाउन हुआ था.अब यह और अधिक मजबूती से खड़े हो गए है.ग्रामीणों की माने तो इन्हें आबकारी अधिकारियों और पुलिस का सहयोग है.अकेले सहारनपुर में अब तक 83 मौत हो चुकी है.30 मौत रुड़की के करीब भगवानपुर में हुई है 50 से ज्यादा अभी अभी अस्पताल में है.इनमे अधिकतर दलित समाज से आते है.
पुलिस ने मंगलवार को रुड़की के अर्जुन नाम के एक युवक को पकड़ने का दावा किया है.सहारनपुर प्रशासन के मुताबिक इसी अर्जुन ने रेक्टिफाइड वाले केमिकल का इस्तेमाल करके 6 ड्रम शराब बनाई थी.जिसके 3 ड्रम बेच दिए गए थे इन्ही तीन ड्रम ने कोहराम मचा दिया अगर सभी 6 ड्रम की सप्लाई हो जाती तो हालत दोगुना खराब होते.आबकारी अधिकारियों के मुताबिक रेक्टिफाइएड की मात्रा अधिक होने के कारण यह शराब जहर बन गई.
2008 में मेरठ में भी इसी रेक्टिफाइएड से शराब बनाई गई थी जिसमे 12 हुई थी.जाहिर है सहारनपुर के एक दर्जन गांवों में कई दिन से चूल्हा नही जला है.उत्तर प्रदेश सरकार ने मृतको के परिजनों को 2 -2 लाख रुपये की मदद की है।अधिकतर परिवारों ने यह चेक अब भुनाया नही है.
सहारनपुर के पूर्व विधायक जगपाल सिंह के अनुसार कच्ची शराब का अवैध कारोबार पुलिस की शह पर चलता है.पुलिस को इससे भारी आमदनी है.कच्ची शराब के सारे कारोबारी पुलिस के संपर्क में रहते हैं.
उनकी इस बात की पुष्टि इस बात से हो जाती है कि पुलिस में एक ही रात में अभियान चलाकर 30 लोगो को गिरफ्तार कर 271 लीटर शराब और 350 लीटर लहन बरामद कर लिया.कई थाना क्षेत्रों में यह कार्यवाई हुई।सैकड़ो भट्ठियां ध्वस्त कर दी गई और दर्जनों तस्कर गांव छोड़कर भाग गए.जाहिर है यह कार्यवाई जहरीली शराब से हुई मौत के बाद की गई जबकि इसकी निरन्तर आवश्यता रहती है.
सहारनपुर का प्रशासनिक अमला इस घटना के बाद पूरी तरह से बैकफुट पर है.इसी बीच एक सनसनीखेज खुलासा पुलिस की कार्यप्रणाली पर एक और प्रश्नचिन्ह लगाता है.सहारनपुर के नागल थाने के गांव उमाही के इमरान और धनपाल ने दावा किया है गांव में लगातार कच्ची शराब की शिकायत वो पुलिस से कर रहे थे.कुछ महिलाओ ने भी इसकी शिकायत की मगर पुलिस प्रभावित नही हुई.इस गांव से 5 लोगो की मौत हुई है फिलहाल इस थाने के कोतवाल को निलंबित कर दिया गया है.नागल के युवा समाजसेवी शाहवेज गाड़ा के मुताबिक काश पहले जाग जाते तो गांव-गांव कोहराम ना मचता।
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के मुताबिक उन्हें कच्ची शराब से हुई इन मौतों में षड्यंत्र दिखाई देता है और वो इसकी तह तक जाएंगे.
जानकारी करने पर पता चलता है कि सहारनपुर के 100 से ज्यादा गांवों में 30-30 रुपये में शराब के पैकेट मिल रहे थे।सूत्रों के मुताबिक बड़गांव के झबिरण, दलेहेड़ी,शिमलना, अंबेहटा चांद,नकुड़ के फतेहपुर जट, रानीपुर, लतीफपुर नैनोता के अर्जुनपुर, अंतरा, भोजपुर में यह शराब बेची जा रही थी.
गौरतलब है कि पिछले महीने मेरठ के दौराला में बेहद चौकाने वाली घटना हुई थी.दौराला थाना क्षेत्र के एक गांव सकोती के एक इंटरकॉलेज में आठवीं क्लास के पांच बच्चे शराब पीकर पढ़ने पहुंच गए थे.हैरतअंगेज तौर पर हुई इस घटने के बाद स्कूल मैनजमेंट ने शराब की व्यवस्था करने वाले एक छात्र को निलबिंत कर दिया जबकि चार अन्य के परिजनों को बुलाकर चेतावनी देकर छोड़ दिया गया.
कुछ छात्रों के यह भी कहना था कि इन्होंने क्लास के अंदर ही शराब पी.यह पांचों छात्र सुबह ग्राऊंड में नही पहुंचे और अपनी क्लास में ही रहे जब बच्चे लौटकर आए तो यह कक्षा में ही शराब पी रहे थे.जानकारी करने पर पता चला कि रुहासा,दशरथपुर और जमालपुर के कुछ बच्चे ऐसा दूसरी कक्षाओ में भी कर रहे थे.यह कच्ची शराब गांव-गांव परचून और कोल्ड ड्रिंक की दुकानों पर आसानी से उपलब्ध है.सहारनपुर रुड़की में कच्ची शराब से 100 से ज्यादा मौत हो जाने के बाद जाग जाने वाली सरकार की नजर मेरठ की दो महीने पुरानी इस एक खबर पर पड़ जाती तो शायद कच्ची शराब का यह सिंडीकेट तोड़ने के प्रयास किये जाते.