अलीगढ़-
आस मुहम्मद कैफ, TwoCircles.net
देश की सबसे आलातरीन यूनिवर्सिटीज में से एक अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी इसी साल अपनी स्थापना के 100 साल पूरे करने जा रही है।
अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी ने इस दौरान तमाम उतार चढ़ाव देखे हैं,मगर उसके तीनों उपकेंद्रों की हालत सुधरने का नाम नही ले रही है।
एएमयू के तीनों सेंटर अनेकों समस्याओं से घिर गए हैं।इनमे से एक को भी पर्याप्त मात्रा में फंड जारी नही हो रहा है।वहां तरक्की बाधित हो गई है।कोर्स बंद हो गए हैं और और हालात बदतर है।केंद्र सरकार का उदासीन रवैया अब खासा अखर रहा है और लगातार आवाज़ उठाने के बाद भी सरकार के कान पर जूं नही रेंग रही है।
एएमयू के किशनगंज सेंटर की बदहाली तो सर्वविदित है ही मल्लपुरम और मुर्शिदाबाद की हालत भी बहुत बेहतर नही है।
इसी मुद्दे पर हाल ही में अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के अध्यक्ष सलमान इम्तियाज़ ने केरल के गर्वनर आरिफ मोहम्मद खान से मुलाकात की है।सेंटर्स को मिलने वाले फंड की कमी से हो रही बदहाली की बात को यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर साफेह किदवई भी स्वीकार करते हैं वो कहते हैं”उदासीनता दिखाई दे रही मक़सद पांच सेंटर्स के ज़रिए इल्म की रोशनी को फैलाने का था अब मौजूद तीनों खुद शमा बुलंद करने के लिए सँघर्ष कर रहे हैं”।
केरल के गर्वनर आरिफ़ मोहम्मद खान से मिलकर मल्लपपुरम सेन्टर की आवाज़ उठाने वाले सलमान इम्तियाज कहते हैं”यह बात सही है कि बिहार के किशनगंज सेंटर में सबसे अधिक समस्याएं है और उस तरफ सियासी सरगर्मियां भी ज्यादा हुई है मगर इसका यह मतलब नही है कि एएमयू के दूसरे सेंटर्स बहुत अच्छी हालात में है यह अलग बात है वहां परेशानी अलग किस्म की है जैसे मल्लपपुरम में भी पर्याप्त मात्रा में फंड जारी नही हुआ है इससे वहां तरक़्क़ी की राह मुश्किल दिखाई देती है,इसी फंड को रिलीज कराने को लेकर हमने गर्वनर साहब से दरख्वास्त की है,उन्होंने वादा किया है,हालांकि ऐसा वादा इससे पहले के हाकिमों ने भी किया मगर हम उनसे उम्मीद तो कर ही सकते हैं क्योंकि वो खुद भी अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी से पढ़े है हमारा दर्द वो बखूबी समझ सकते हैं”।
2010 में केरल के मल्लवपुरम में 336 एकड़ जमीन में स्थापित हुए सेंटर में लगभग 300 स्टूडेंट पढ़ते हैं।
तब इसे बीएड, एमबीए और एलएलबी के साथ शुरू किया गया था जबकि इस समय 9 साल बाद भी कोई नया कोर्स शुरू नही हुआ है।इसे यह कहा जा सकता है कि कोई प्रगति नही हुई है और स्थिति जस की तस है।सलमान के मुताबिक यूनिवर्सिटी के पास अब फंड की परेशानी है इसलिए वो नया कोर्स संचालित करने से हिचक रही है।केंद्र की तरफ से यूनिवर्सिटी को फंड नही आ रहा तो वो सेंटर्स को नही भेज पा रहे हैं।
सलमान बताते हैं “किशनगंज सेंटर की हालत तो औऱ भी बदतर है जबकि मुर्शिदाबाद में भी अपेक्षाकृत प्रगति नही हुई है”
केंद्र में भाजपा सरकार आने के बाद से एएमयू यूनिवर्सिटी लगातार चर्चा में है सलमान के अनुसार “सरकार की अनदेखी यह साबित करती है सेंटर्स ‘नेचुरल डेथ’की और बढ़ जाएं हालात यही बताती है वो बंद हो सकते हैं।
ऐसा इसलिये कहा जा रहा है कि 2016 में तत्कालीन मानव संसाधन मंत्री ने इन सेंटर्स को गैरकानूनी करार दिया था और इनकी वित्तीय सहायता बंद करने की धमकी दी थी।एएमयू के पूर्व छात्र फारुख मेवाती के मुताबिक तब राज्यसभा में जमकर हंगामा हुआ था राज्यसभा सांसद जावेद अली खान ने इस मुद्दे को जोर शोर से उठाया था।
गौरतलब है विश्वविद्यालय की एकेडमिक परिषद और कार्यकारी समिति ने अलीगढ विश्वविधालय की कानून की धारा 12 के तहत परिसर के बाहर पांच सेंटर्स स्थापित करने का निर्णय लिया था।3 खोले गए जिनमें से किशनगंज वाला किराए की बिल्डिंग में चल रहा है और उसकी 100 एकड़ जमीन महानंदा नदी की बाढ़ में डूब जाती है।यहां डेढ़ सौ से भी कम विद्यार्थी है।किशनगंज में जनवरी में दर्जनों लोग भूख हड़ताल पर बैठ गए।किशनगंज सेंटर को 2008 में 324 एकड़ जमीन के आवंटन के साथ शुरू हुआ।इसकी 100 एकड़ नदी में बह गई।दीवार गिर गई।कोई सुध किसी ने नही ली।
2015 में वीसी समेत एक प्रतिनिधिमंडल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात भी की।2017 में 136 करोड़ रुपये जारी किए गए जिसमे से 5 करोड़ ही मिले।बात बस इतनी नही है किशनगंज सेंटर के बीएड कोर्स की मान्यता भी खत्म कर दी गई है।
जफर मंसूरी अलीग के मुताबिक ऐसा लगता है सरकार का यह रवैया एक सोची समझी रणनीति है लेकिन सवाल पहले की सरकारों से भी जैसे 2006 में सच्चर कमेटी की सलाह पर एएमयू की शाखा स्थापित करने की सलाह दी गई।2008 में एएमयू के तत्तकालीन कुलपति पीके अब्दुल अजीज ने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को जमीन उपलब्ध कराने के लिए चिट्ठी लिखी और यह चिट्ठी दो साल में बिहार पहुंची।3 साल में जमीन खोजी गई और 2013 में बिहार सरकार के अल्पसंख्यक छात्रावास के दो कमरों में स्टडी सेंटर कायम किया गया।जिसकी नींव 2014 में सोनिया गांधी ने रखी।इमारत अब तक नही बनी। साल की यह प्रगति अपनी हालात खुद बताती है।अब यहां सिर्फ दो विषय पढ़ाए जाते है।
सलमान इम्तियाज़ कहते हैं कि “हमने बिहार गर्वनर और मुख्यमंत्री से मिलने के लिए अर्जी दी है यह समय अपने हक़ के लिए लड़ने का है वरना यह सेंटर अपना अस्तिव खो देंगे”।