न्यूज़ डेस्क।Twocircles.net
बनारस हिंदू विश्वविद्यालय अपने नियमित पाठ्यक्रम में “हिंदू स्टडीज” कोर्स को शामिल करने वाला देश का पहला विश्वविद्यालय बन गया है। विश्वविद्यालय ने हिंदू अध्ययन में स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम शुरू किया है। विश्वविद्यालय के कुलपति वीके शुक्ला ने इस पाठ्यक्रम का उद्घाटन किया और बताया कि इस पाठ्यक्रम को नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 2020 के अनुरूप बनाया गया है। इस पाठ्यक्रम को उन्होंने नवाचार के प्रतीक की शुरुआत भी बताया।
19 जनवरी से इस नए एमए कोर्स की आधिकारिक रूप से शुरुआत हुई है। हालांकि, 21 जनवरी तक इस कोर्स को सिर्फ परिचयत्मक ही रखा जाएगा और बाद में 25 जनवरी से साप्ताहिक कार्यक्रम चलेगा।
इस पाठ्यक्रम में तत्व, धर्म और मुक्ति, रामायण, महाभारत, पुराण, प्राचीन भारत में संवाद की परंपरा और पश्चिमी प्रवचन को समझना, को सम्मिलित किया गया है। इसके अलावा इसमें संस्कृत भाषा को भी जोड़ा गया है। पाठ्यक्रम द्वारा हिंदू दर्शन के पहलुओं पर भी ध्यान केंद्रित करवाने की उम्मीद जताई जा रही है, जिसमें तत्व मीमांसा, धर्म कर्म मीमांसा, और प्रमाण मीमांसा का गहन विश्लेषण शामिल हैं।
इस दो वर्षीय पाठ्यक्रम के पहले बैच में कुल 45 लोगों ने नामांकन लिया है, जिसमें एक विदेशी छात्र भी शामिल हैं। यह कोर्स चार सेमेस्टर का है, और 16 पेपर हैं। यह कार्यक्रम भारत अध्ययन केंद्र द्वारा कला संकाय के अंतर्गत दर्शनशास्त्र और धर्म विभाग, संस्कृत विभाग, प्राचीन भारतीय इतिहास, संस्कृति और पुरातत्व विभाग के सहयोग से पेश किया जाएगा।
विश्वविद्यालय के अधिकारियों ने ये दावा किया है की यह देश के किसी भी विश्वविद्यालय द्वारा पेश किया जाने वाला पहला ऐसा पाठ्यक्रम है। हालांकि, आपको बता दें कि इससे पहले हिमाचल यूनिवर्सिटी में भी एक ऐसा पाठ्यक्रम चल रहा है, लेकिन वो एक डिप्लोमा कोर्स है।
TwoCircles से बात करते हुए एक छात्र, राजन सिंह, ने बताया, “ये पाठ्यक्रम दुनिया को हिंदू धर्म के कई अज्ञात पहलुओं से अवगत कराएगा, जिससे समाज में फैलती कुछ गलत धारणाओं को भी खत्म किए जाने में मदद मिलेगी।” राजन ने बताया कि इस पाठ्यक्रम में प्रवेश लेने के उनके भी विचार थें लेकिन किसी कारणवश अवसर से वो चूक गए। “कई लोग धर्म का नाम इस्तेमाल कर अपना फायदा निकालते हैं, लेकिन इस तरह के ज्ञानवर्धक पाठ्यक्रम के बाद लोग जागरूक होंगे।” राजन ने बताया।
इधर सोशल मीडिया पर भी इस पाठ्यक्रम की शुरुआत पर कई लोगों ने अपनी-अपनी प्रतिक्रिया रखी। एक ट्विटर यूजर, दिनेश सी श्रीवास्तव ने लिखा, “इसमें नया क्या है। वहां दर्शनशास्त्र और धर्म विभाग तो बहुत पहले से था ही। भारतीय दर्शन और धर्म में पोस्ट ग्रेजुएशन पहले से ही चल रहा था, जिसमें मुख्य रूप से हिंदू धर्म और बौद्ध धर्म ही पढ़ाया जा रहा था।”
वहीं एक दूसरे यूजर, आईक्यूएसी मेरठ, ने इस पहल की तारीफ करते हुए लिखा, “पाठ्यक्रम का स्वागत! यह हमारी हिंदू संस्कृति की समझ, दूसरों के साथ प्रेम, भाईचारे, स्वीकृति और सहिष्णुता के अंतर्निहित सिद्धांत को मजबूत करेगा! सर्वे भवन्तु सुखिने एन वसुधैव कुटुम्बकम से बेहतर दृष्टिकोण क्या हो सकता है! बधाई और हार्दिक बधाई।”
हालांकि जहां समाज के ज़्यादातर लोग इस पाठ्यक्रम का स्वागत कर रहे हैं, उसी दौरान, दलित एक्टिविस्ट, दिलीप मंडल ने इस उद्घाटन समारोह से दलित प्रतिनिधित्व का गायब होना और सिर्फ सवर्ण लोगों की ही उपस्थिति पर तंज कसा है।
दिलीप मंडल ट्वीट करते हुए लिखा है”बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी में शुरू हुआ भारत का पहला ‘एम ए इन हिन्दू’ कोर्स. कोर्स का उद्घाटन प्रो. शुक्ला, एक और प्रो. शुक्ला, प्रो. त्रिपाठी, प्रो. पांडे, प्रो. द्विवेदी, प्रो. उपाध्याय, एक और प्रो. पांडे और प्रो. अवस्थी ने किया. सभी हिंदुओं को इस मौक़े पर ताली बजाने के लिए बधाई.” प्रोफेसर दिलीप मंडल ने इस ट्वीट में उद्घाटन समारोह के निमंत्रण-पत्र की तस्वीर को भी सांझा किया है।