आस मुहम्मद कैफ, TwoCircles.net
नूह। तब्लीग़ी जमात के लिए एक बेहद राहत की ख़बर है। हरियाणा की नूह की अदालत ने विदेशी जमातियों को तत्काल उनके घर भेजने का आदेश दिया है। यह सभी जमाती, नेपाल, इंडोनेशिया, और श्रीलंका के रहने वाले हैं। अब इन्हें सकुशल इनके घर भेजने की जिम्मेदारी हरियाणा सरकार की है। यह आदेश 57 जमातियों के लिए है मगर अब इसकी संभवना प्रबल है कि अब सभी विदेशी जमातियों को राहत मिलेगी।
इस दौरान अदालत ने छह देशों के 57 विदेशी जमातियों पर विदेशी नियमों के तहत लगाई गई सभी धाराओं को आधारहीन मानकर सभी जमातियों को बाइज़्ज़त बरी कर दिया है। साथ ही हरियाणा सरकार को आदेश दिया है वो सभी जमातियों को उनके देश भेजने की व्यवस्था करे। हरियाणा में भाजपा की सरकार है और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के काफ़ी क़रीबी समझे जाने वाले मनोहर लाल खट्टर वहां मुख्यमंत्री है।
विदेशी जमात वालों को मेवात पुलिस ने 2 अप्रैल 2020 को हिरासत में लेकर एफ़आईआर दर्ज की थी। एफ़आईआर में उनके ख़िलाफ़ महामारी फैलाने और विदेशी कानून का उल्लंघन करने की धाराओं के तहत मुक़दमा दर्ज किया गया था।
अब मेवात ज़िला के नूह में लाॅकडाउन में फंसे विदेशी जमातियों को लेकर नूह की सीजीएम अदालत ने एक बड़ा फ़ैसला सुनाया है। अदालत ने सभी छह देशों के 57 विदेशियों और एक भारतीय अनुवादक पर धारा 188 के तहत सरकारी आदेश का उल्लंघन करने का आरोपी क़रार देते हुए सभी पर एक हज़ार रुपए का जुर्माना लगाया। आरोपियों की ओर से उसी समय अदालत में विधायक आफ़ताब अहमद ने जुर्माना अदा कर दिया।
अदालत ने विदेशी कानूनों के तहत लगाई गई सभी धाराओं को निराधार मानते हुए सभी को बरी कर दिया। इनमें इंडोनेशिया के 11, श्रीलंका के 24, साउथ अफ्रीका के 5, बांग्लादेश के 11, थाईलैंड के 6 और नेपाल का एक जमाती शामिल हैं। बता दें कि तब्लीग़ी जमात के ये सभी लोग लाॅकडाउन से पहले मेवात के विभिन्न गांवों में जमात में आए हुए थे। इन विदेशी जमातओं में बांग्लादेश की एक जमात में पांच महिलाएं भी अपने खाविंद के साथ शामिल थीं। इन्हें मस्तूरात की जमात कहते हैं।
बता दें कि निज़ामुद्दीन स्थित मरकज में आयोजित तब्लीग़ी जमात से पकड़कर क्वारंटीन सेंटर में रखे गए 916 विदेशी जमातियों की रिहाई के लिए हाईकोर्ट में कई याचिकाएं दायर की गई थी।इसमे शिकायत की गई थी कि क्वारंटीन सेंटरों में कोरोना टेस्ट रिपोर्ट नेगेटिव आने के बाद विदेशी जमातियों को गैर कानूनी ढंग से क्वारंटीन सेंटरों में रखा गया है।
यह याचिका अलग-अलग 20 याचिकाकर्ताओं ने वकील अशीमा मंडला के ज़रिए दायर की थी। याचिका की ज़बान के मुताबिक लिखा गया कि दिल्ली सरकार के राजस्व विभाग ने 9 मई को 567 विदेशी नागरिकों को दिल्ली पुलिस को सौंपने का आदेश दिया था। इन नागरिकों की एकांतवास की अवधि पूरी हो चुकी है। इन्हें दिल्ली पुलिस को सौंपने का दिल्ली सरकार का आदेश संविधान के अनुच्छेद 14, 21 एवं 22 का उल्लंघन है। याचिका में कोर्ट से मांग की गई थी कि रमज़ान का महीना चल रहा है और ईद नज़दीक है। ऐसे में विदेशी नागरिकों को आइसोलेशन में रखना उनके संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन है। हालांकि इस फ़ैसले के आने से पहले ईद हो चुकी है।
जानकारी के अनुसार पुलिस की एफ़आईआर में 567 विदेशी नागरिकों के बारे में यह नहीं बताया गया था कि क्या ये कभी ब्लैक लिस्टेड हुए हैं या कभी उन्हें पुलिस अधिकारियों ने पकड़ा है! किसी व्यक्ति को जांच के लिए हिरासत में रखना कोर्ट के अधिकार क्षेत्र में आता है! इसलिये अदालत में जमातियों का तकनीकी पक्ष मजबूत हो गया। उनके वकील ने मांग की कि इन विदेशी नागरिकों को तुरंत रिहा करने का आदेश जारी किया जाए!
फ़ैसले के तुरंत बाद जमीयत उलमा-ए-हिंद के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना सैयद अरशद मदनी ने कहा है कि विदेशी जमात के सभी लोग नियामानुसार वीजा लेकर आए थे। यह आज का कोई नया सिलसिला नहीं है, बल्कि देश की आजादी के बाद से इसी प्रकार से लोग आते रहे हैं।
ख़ास बात यह भी है कि हरियाणा की एक अदालत की ओर से छह देशों के 57 विदेशी जमातियों को विदेशी नियमों के तहत लगाई गई सभी धाराओं को भी निराधार माना गया है। उन सभी को रद्द कर दिया गया है। जानकारों के अनुसार सरकारी तंत्र को भी अब मानहानि के दायरे में लाया जा सकता है।
हरियाणा में विदेशी जमातियों में सर्वाधिक श्रीलंका के है। यहां इन पर कई तरह के आरोप लगाए गए थे।जैसे पुलिस ने कहा था कि यह टूरिस्ट वीज़ा पर धर्म प्रचार कर रहे थे। इन्होंने ही कोरोना फैलाने में लापरवाही की। लोगो की जिंदगी को ख़तरे में डाला। भोपाल ,अहमदाबाद समेत देश भर में इन विदेशी जमातियों को मुश्किलों का सामना करना पड़ा और जेल भी जाना पड़ा। मगर हरियाणा की अदालत के फैसले के बाद आगे ऐसे ही नतीजे आने की संभावना है।